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निर्माता : आमिर खान, किरण राव
निर्देशक : किरण राव
कलाकार : आमिर खान, प्रतीक बब्बर, मोनिका डोगरा, कृति मल्होत्रा
रिलीज डेट : 21 जनवरी, 2011
ड्रामा / कहानी (95 मिनट)
“सपनों का शहर मुंबई, गलत नहीं होगा इसे मायानगरी कहना. समय से तेज़ भागती जिंदगी, जीवंत होती कथाएं, कभी उत्साहित होते तो कभी विषाद में डूबे करोड़ों चेहरों का चित्रण बहुत से लोगों ने चलचित्र के माध्यम से अलग–अलग रूपों में किया है. कभी मुंबई के अंडरवर्ल्ड को मिलन लुथरिया ने अपने पन्नों में ढाला तो कभी डैनी बॉयल ने स्लमडॉग मिलियनेयर के साथ इतिहास बनाया.
सपनों के इसी घरोंदे पर बनी है किरण राव की धोबी घाट. यह एक वास्तविक और सारगर्भित फिल्म है जिसकी कहानी अभी तक पर्दे पर नहीं उतारी गयी थी.
फिल्म की कहानी
धोबी घाट चार अलग–अलग पृष्ठभूमि के लोगों की कहानी है. साही एडुल्जी (मोनिका डोगरा) पेशे से बैंकर लेकिन फोटोग्राफी की शौकीन. स्वार्थी दुनिया का एक चेहरा जिसका स्पर्श ही आपकी जिंदगी में उथलपुथल ला देगा. अरुण (आमिर खान) जिसका जीवन चित्रकारी है लेकिन सच्चाई से परे उसका जीवन भी कला और सोच के बीच विभाजित है.
फिल्म में तीसरा पात्र है यास्मिन का (कृति मल्होत्रा) मलिहाबाद में अपने भाई से दूर दुःख का एक चेहरा जो अंदर से दुखी होने के बाद भी बाहर से खुश होने का आचरण करती है. और चौथा पात्र है मुन्ना (प्रतीक बब्बर) पेशे से धोबी लेकिन हीरो बनना शौक, सलमान खान को अपना गुरु मानता है लेकिन शायद यह नहीं जानता कि जीवन में कुछ भी इतनी आसानी से नहीं मिलता.
चार लोग एक दूजे से एक दम भिन्न लेकिन फिर भी एक-दूसरे से जुड़े हुए. वह मुंबई की बुराई करते हैं लेकिन इस अंदाज़ में कि कहीं उनके दर्द के पीछे छुपा है उनका अतीत. कुछ करना चाहते हैं लेकिन फिर मन मसोस के चुप रह जाते हैं और मान लेते हैं कि यही उनकी जिंदगी है.
फिल्म में बहुत कुछ नया है जैसे फिल्म के संवाद और उसके कलाकार. यहां तक कि आमिर खान भी एक नए रूप में नज़र आएंगे (अपने सुपरस्टारडम से एकदम अलग). फिल्म का एक संवाद “यहां बहुत भाया…थप्पड़ भाई और खाना भाई” आमची मुंबई की याद दिलाता है.
रिलीज़ से पहले ही फिल्म काफ़ी चर्चा में है क्योंकि यह फिल्म है कुछ हटकर. जहां आपको नहीं मिलेगा कोई भी मसाला जो मिलेगा वह दिल को छू लेगा.
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