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कहानी एक खोज और संघर्ष की

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जो लोग सोचते थे कि हिन्दी सिनेमा में लीड रोल में केवल पुरुष ही होते हैं उनके लिए विद्या बालन एक अपवाद खड़ा कर रही हैं. पा, इश्किया और डर्टी पिक्चर के बाद अब कहानी में विद्या बालन ने जिस तरह से अभिनय किया है उसे देखते हुए जरूर हिन्दी सिनेमा के लीड हीरो थोड़ा असहज महसूस कर रहे होंगे. फिल्म कहानी इस हफ्ते रिलीज हुई हिन्दी फिल्म है जिसमें विद्या बालन ने अभिनय किया है. इस फिल्म में विद्या बालन ने एक गर्भवती अनिवासी भारतीय की भूमिका निभाई है जो कोलकाता में अपने लापता पति की तलाश करती है. फिल्म हिन्दी सिनेमा और कोलकाता के जादू को बेहद करीब से दिखाती है. आइए जानें फिल्म के बारें में कुछ खास बातें.


Kahaani Movie in hindiफिल्म: कहानी

कलाकार:‍ विद्या बालन, परमब्रत चट्टोपाध्याय, नवाजुद्दीन सिद्दिकी

बैनर: पेन इंडिया प्रा. लि., वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स, बाउंडस्क्रिप्ट मोशन पिक्चर्स प्रा. लि.

निर्माता: सुजॉय घोष, कुशल कांतिलाल गाडा

निर्देशक: सुजॉय घोष

संगीत: विशाल-शेखर

रेटिंग: ****


कहानी की कहानी

फिल्म “कहानी” विद्या बागची (विद्या बालन) की कहानी है. विद्या बागची लंदन से कोलकाता अपने पति को ढूंढ़ने आई है जिसका बच्चा उसके पेट में है. उसके पति का नाम अर्णब बागची है. सात महीने की प्रेगनेंट विद्या बालन कोलकाता तो आ जाती है लेकिन वह यहां किसी को नहीं जानती. एक अनजान शहर में वह भी अनजान ही है. लेकिन जिन सूत्रों को लेकर वह अपने पति को ढूंढ़ने निकली है वह भी एक-एक कर उससे दूर हो जाते हैं. एक समय ऐसा आता है जब वह खुद को बेहद असहाय स्थिति में पाती है.


सभी उसे यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं कि जिस पति को वह ढूंढ़ रही है उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. धीरे-धीरे उसे अहसास होता है कि जो उसे दिखाया जा रहा है ऐसा वास्तव में कुछ है ही नहीं. विद्या अपनी और अपने होने वाले बच्चे की जिंदगी को खतरे में डालकर सच्चाई पर से परदा उठाने की ठानती है.


Kahaani's storyफिल्म समीक्षा

कोलकाता को रंगों और त्यौहार का शहर कहा जाता है और अगर आपको यह बात नजदीक से समझनी है तो इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए. कोलकाता की सुंदरता का शायद ही कोई ऐसा रंग हो जिसे निर्देशक ने छोड़ा हो. निर्देशक सुजॉय घोष ने फिल्म के हर भाग को इस कदर पिरोया है जैसे मोतियों की कोई माला. फिल्म का हर किरदार, हर भाग अपनी जगह सटीक बैठता है.


अगर अभिनय की बात करें तो विद्या बालन नित नए आयम खड़े कर रही हैं. हाल ही में विद्या बालन ने द डर्टी पिक्चर में एक बोल्ड किरदार को पर्दे पर जीवंत किया था और अभी उन पर से उस बोल्ड किरदार का रंग उतरा भी नहीं था कि उन्होंने “कहानी” के द्वारा एक स्त्री के उस वजूद को पर्दे पर साक्षात रूप से जीवंत कर दिया जिसमें स्त्री शक्ति का रूप है, वह अगर चाहे तो कुछ भी कर सकती है कुछ भी.


फिल्म यूं तो पूरी तरह विद्या बालन के ईर्द-गिर्द घूमती है पर अन्य सह कलाकारों ने भी अपने अभिनय से दिल जीता है.


फिल्म का संगीत बेहद बेहतरीन है. खासकर उषा उथुप्प का “आमी सोच्ची बोलती” और अमिताभ की आवाज में गाया गया “एकला चलो रे” ने तो फिल्म की कहानी में चार चांद लगा दिए हैं. फिल्म का एक और प्लस प्वाइंट इसकी सिनेमेटोग्राफी है. फिल्म में कोलकाता के सभी रंगों को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है जिसका श्रेय कैमरामैन को ही जाता है.


फिल्म कहानी हिन्दी सिनेमा की एक उत्कृष्ट प्रस्तुति है जिसे एक बार तो जरूर देखना चाहिए और यह समझना चाहिए कि महिलाएं बेबस और लाचार नहीं होतीं अगर वह कुछ करने की ठान लें तो उसे करके ही दम लेती हैं.


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