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Movie Review: Bhindi Bazaar (फिल्म समीक्षा : भिन्डी बाज़ार)

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bhindi bazaar movieइस हफ्ते रिलीज हुए फिल्म में सबसे चर्चित फिल्म रही अंकुश भट्ट की ‘भिंडी बाजार’. भिंडी बाजार मुंबई के जेबकतरों के जीवन पर आधारित एक फिल्म है जिसमें सेक्स का तड़का लगाया गया है.

मुख्य कलाकार: वेदिता प्रताप सिंह, दीप्ती नवल, पवन मल्होत्रा, के के मेनन , पीयूष मिश्रा, प्रशान्त नारायण


निर्देशक: अंकुश भट्ट


तकनीकी टीम: निर्माता- करण अरोरा, कहानी- गालिब असद भोपाली, संगीत- संदीप-सूर्या. कहानी


इस फिल्म के शीर्षक में आईएनसी यानी इन कारपोरेट शब्द जोड़ा गया है, लेकिन पूरी फिल्म शतरंज की चालों के बीच हिस्सों में चलती रहती है. शतरंज की बिसात पर बादशाहत के लिए प्यादों की लड़ाई चलती रहती है और फिल्म आगे बढ़ती रहती है.


अंडरव‌र्ल्ड की कहानी हिंदी फिल्मकारों को आकर्षित करती रहती है, लेकिन ज्यादातर फिल्मों में कोई नई बात नजर नहीं आती और यही भिंडी बाजार के साथ भी हुआ है. कुछेक दृश्य ही आपको अलग दिखेंगे बाकी एक जैसे.


भिंडी बाजार में हिंदू और मुस्लिम सरगनों के जरिए यह भी बता दिया है कि मुंबई में अंडरव‌र्ल्ड धर्म के आधार पर बंटा हुआ है. उनके विस्तार में लेखक-निर्देशक नहीं गए हैं, इसलिए पता नहीं चलता कि इसकी वजह क्या है और दोनों के इंटरेस्ट में कोई फर्क भी है क्या? निर्देशक का मुख्य फोकस मुस्लिम अंडरव‌र्ल्ड पर है. यहां चल रही मार-काट और नेतृत्व लेने की ललक में साजिश रचते किरदार सामान्य किस्म के हैं. कलाकारों की भिन्नता ही “भिंडी बाजार” को दूसरी फिल्मों से अलग करती है, अन्यथा किरदारों के व्यवहार से लगता है कि हम उन्हें पहले भी देख चुके हैं.


अगर सीधे सादे शब्दों में कहा जाए तो भिंडी बाजार में कुछ नया नहीं है. फिल्म के प्रोमो में जो कुछ दिखाया गया है वह ही देखने लायक बाकी आपको किसी पुरानी फिल्म जैसा ही लगेगा. कुछेक सेक्स सीन के साथ फिल्म को हॉट बनाने की कोशिश की गई है पर यह भी काफी साबित नहीं हुआ.


रेटिंग *1/2


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