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हिन्दी सिनेमा जगत में एक बार फिर अभिनेता शाइनी आहुजा का स्वागत है. एक लंबे अर्से बाद वह पर्दे पर दिखाई देने वाले हैं और वह भी एक डरावनी फिल्म में. भरत शाह की “घोस्ट” यूं तो पिछले तीन साल से तैयार थी लेकिन शाइनी आहुजा की वजह से फिल्म लटकी पड़ी थी. पर अब फिल्म रिलीज हो ही गई. “घोस्ट” भारतीय दर्शकों के लिए एक नया एक्सपीरियंस है. फिल्म को डरावना बनाने के लिए इसमें कई खौफनाक दृश्य डाले गए हैं. फिल्म बेहद डरावनी है लेकिन अभिनय उस स्तर की नहीं है जैसी एक हॉरर फिल्म में होनी चाहिए.
फिल्म का नाम: घोस्ट
कलाकार: शाइनी आहूजा, सयाली भगत, जूलिया ब्लिस
संगीत: शरीब सबरी – तोषी सबरी
निर्देशक: पूजा जतिंदर बेदी
निर्माता: भरत शाह
रेटिंग:*1/2
फिल्म की कहानी
कहानी एक सिटी अस्पताल की है जहां बहुत पहले एक नर्स, डॉक्टर और वार्ड बॉय की बेरहमी से हत्या की गई होती है. इन लोगों का दिल निकालकर चेहरा जला दिया जाता है. इसी अस्पताल में सुहाना (सयाली भगत) डॉक्टर हैं.
शहर में एकाएक लगातार मौतों का सिलसिला शुरू हो जाता है और पुलिस इन मौतों को रोकने में नकाम रहती है. इसलिए वह एक जासूसी कंपनी को यह केस सुपुर्द करते हैं जो अपने काबिल अफसर विजय सिंह (शाइनी आहूजा) को केस सौंपते हैं.
विजय सिंह और सुहाना के बीच प्रेम कैसे होते हैं पता ही नहीं चलता. फिल्म की आगे की कहानी केस को सुलझाने और रहस्यों से भरी है.
फिल्म समीक्षा
फिल्म का सब्जेक्ट और उसके अंदर डाले गए डरावने दृश्य बेहद आकर्षक हैं लेकिन सारी अच्छी चीजों पर मिट्टी डाली है कलाकारों के अभिनय ने. शाइनी आहुजा लंबे समय बाद पर्दे पर नजर आ रहे थे तो उनसे काफी उम्मीदें थीं पर सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया गया है. सयाली भगत भी बेहद कमजोर नजर आईं. जिस तरह से एक हॉरर फिल्म में चिल्लाने की जरूरत होती है वह उतना चिल्ला ही नहीं पाईं.
फिल्म का संगीत तो और भी औसत है. कुल मिलाकर निर्देशक पूजा जितेंदर बेदी ने अगर कलाकारों पर मेहनत की होती तो यह फिल्म जरूर हिन्दी सिनेमा के लिए एक तोहफा होती पर फिल्म की कमजोर कास्टिंग से सब पर पानी फिर गया.
अगर आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो इसके टेलीविजन पर आने का इंतजार करें.
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