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गुरुदत्त की क्लासिक्ल सुपरहिट फिल्म “साहब, बीवी और गुलाम” के शीर्षक से मिलती जुलती निर्देशक तिग्मांशु धुलिया की फिल्म “साहब बीवी और गैंगस्टर” आज के जमाने के समाजिक पहलूओं को उजागर करती हैं जो सच होने के साथ कड़वी है. एक पति का अपनी पत्नी से बवफाई करना और फिर पति की गैर-मौजुदगी में पत्नी का अपने ड्राइवर के साथ शारीरिक संबंध बनाना आज के समाज का एक घिनौना चेहरा जरूर है लेकिन जब इसे एक कहानी के रूप में पर्दे पर परोसा जाता है तो फिल्म रोमांचक हो जाती है. हॉट दृश्यों की भरमार के साथ फिल्म साहब, बीवी और गैंगस्टर आज के सामाजिक परिवेश पर एक प्रहार के रूप में देखी जा सकती है जहां अब सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी बेवफाई करने में अव्वल होती जा रही हैं.
फिल्म : साहब बीवी और गैंगस्टर
मुख्य कलाकार : रणदीप हुडा, जिमी शेरगिल, माही गिल, विपिन शर्मा, दीपल शाह
निर्देशक : तिग्मांशु धूलिया
निर्माता : राहुल मित्रा, तिग्मांशु धूलिया
संगीत : अभिषेक राय
रेटिंग : ***
फिल्म की कहानी
रिलीज से पहले इस फिल्म के साथ गुरुदत्त की क्लासिक फिल्म साहब बीबी और गुलाम को जोड़ा जा रहा था, लेकिन यह कतई सही नहीं है. यह फिल्म सच में आज की कहानी है, जो अपने मूड के हिसाब से आगे बढ़ती है और लोगों का मनोरंजन करती है. कहानी एक छोटी बीवी की है, जिसे सबकुछ हासिल है, पर मन को शांति नहीं मिलती.
साहब बीवी और गैंगस्टर उत्तर भारत के छोटे शहर में रहने वाले एक नवाब (जिमी शेरगिल) उनकी बीवी यानि छोटी रानी (माही गिल) और महत्वकांक्षी लड़के बब्लू (रणदीप हुड्डा) के इर्द-गिर्द घुमती है. नवाब साहब अपनी पैतृक कोठी में रहते हैं और उसी शान-शौकत को संभालने की कोशिश में लगे रहते हैं जो उनके पुरखों की थी, लेकिन बदलते समय, आर्थिक परेशानियों और रखैल के यहां जाने जैसे शाही शौकों के कारण नवाब साहब तंगी से गुजर रहे हैं.
नवाब जी का एक शौक लड़की का भी है. अपनी बीवी होने के बाद भी उन्होंने एक रखैल रखी हुई है जिसकी वजह से छोटी बहू (माही गिल) परेशान रहती हैं. बेगम चाहती हैं कि नवाब साहब उनका ध्यान रखें, उनके साथ समय व्यतीत करें, लेकिन नवाब साहब के पास बेगम के लिए वक्त कहां. अपनी जिंदगी और खर्चे पूरे करने के लिए नवाब साहब सुपारी लेना शुरू कर देते हैं.
इस बीच नवाब साहब के विरोधी उनकी हवेली में एक क्रिमिनल बबलू (रणदीप हुड्डा) को ड्राइवर बनाकर भेजते हैं. बबलू को बेगम साहिब का ड्राइवर बनाया जाता है. बबलू को नवाब शाहब की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भेजा जाता है पर बेचारा बबलू छोटी बहू के प्यार में फंस जाता है. जल्दी ही दोनों सारी हदों को पार कर एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं. बबलू अब बेगम से प्यार करने लगा है लेकिन बेगम उसका उपयोग बस अपने स्वार्थ के लिए करना चाहती हैं. इसी भाग में रणदीप हुड्डा और माही गिल के बीच फिल्म में बोल्ड दृश्य हैं.
फिल्म के आखिर में प्यार के नशे में बबलू छोटी बहू (माही गिल) को सच बता देता है कि वह हवेली में क्यूं आया है. लेकिन इससे छोटी बहू (माही गिल) को कोई परेशानी नहीं होती बल्कि वह बबलू (रणदीप हुड्डा) को उस रखैल का खून करने को कहती है जिससे नवाब प्यार करते हैं. इसी लव, सेक्स और धोखे के बीच कहानी का अंत होता है.
फिल्म समीक्षा:
इस हफ्ते तीन घंटे और दो सौ रुपए खर्च युवाओं को इससे बेहतर फिल्म नहीं मिलेगी. लेकिन अगर आप परिवार के साथ इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो अपना मन बदल लीजिएं.
लव, सेक्स और धोखे की कहानी को बहुत ही मजेदार ढ़ंग से परोसा गया है जिसे कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय से चार चांद लगा दिए हैं. फिल्म में वह सब कुछ है जो अपनी छाप छोड़ने के लिए जरूरी होते हैं. फिल्म के किरदार, जानदार डायलॉग्स, गर्मागर्म हॉट सीन और कहानी में लगातार आने वाले मोड़ दर्शकों को शुरुआत से लेकर आखिरी तक बांधे रखने में सफल रहते हैं. फिल्म बड़ी तेजी से बढ़ती है जिस वजह से दर्शक बोर भी नहीं होते. निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने कलाकारों ने बेहतरीन काम निकाला है.
कलाकारों का अभिनय
नवाब के रोल में जिमी शेरगिल ने अपने अभिनय से सबका दिल जीत लिया. दरअसल पूरी फिल्म में जिमी शेरगिल के अभिनय को देखकर लगता है कि वह ही सब पर भारी है. चाहे संवाद बोलना हो या अपने हाव-भाव दिखाने हो जिमी सबमें आगे हैं.
माही गिल ने अपनी खूबसूरती को पर्दे पर दिल खोल के लुटाया है. देव डी के बाद एक बार फिर वह बोल्ड सीन में फिट बैठी हैं. हालांकि फिल्म के कुछ दृश्य में उनकी एक्टिंग बनावटी भी लगती है.
रणदीप हुड्डा को एक बेहतरीन कलाकार माना जाता है. लेकिन लगता है माही के साथ बोल्ड दृश्य करने की वजह से वह थोड़े डिप्रेस हो गए और पूरी फिल्म में वह इस तनाव से बाहर ही नहीं आ पाए. लेकिन साथ ही यह भी मानना होगा कि यदि इसके तीनों मुख्य कलाकार नामचीन स्टार होते, तो फिल्म कुछ और होती इसमें कोई दो राय नहीं.
फिल्म का संगीत
फिल्म का गीत-संगीत सुरीला है. ‘ जुगनी प्यार साहिब नूं कर दी है …’ ही अकेला ऐसा गीत है जिसे सिनेमाघर के बाहर आप गुनगुनाना चाहेंगे.
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