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The Amazing Spiderman: द अमेजिंग स्पाइडरमैन
गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने वाली है और छुट्टी के इस अंत को सुहाना बनाने के लिए इस हफ्ते रीलीज हुई फिल्म “द अमेजिंग स्पाइडरमैन”. थ्री डी और फैंटेसी के दीवानों के लिए यह फिल्म बेहद मनोरंजक है.
The Amazing Spiderman Movie Review
द अमेजिंग स्पाइडर मैन का नायक पीटर पार्कर (एंड्रयू गारफील्ड) का बचपन कई सवालों के बीच उलझा हुआ है. उसके पिता रिचर्ड पार्कर और मां मैरी पार्कर एक रहस्य की तरह उसके जीवन से गायब हो जाते हैं. जाते वक्त वो पीटर को उसके चाचा बेन पार्कर (मार्टिन शीन) को सौंप जाते हैं. पीटर बचपन से ही प्रयोगशाला और परखनलियों के बीच रहता है तो विज्ञान में उसकी दिलचस्पी होनी स्वाभाविक है. हाई स्कूल में उसकी प्रेमिका एमा स्टोन (ग्वेन स्टेसी) को छोड़कर पूरे स्कूल के लिए वह शांत-शांत और अपनी दुनिया में रहने वाले बच्चा है. प्रोफेसर कर्ट कॉर्नर्स के लैब में एक दिन स्कूल के समूह के साथ गए पीटर की कुछ जिज्ञासाएं कैसी उसकी जिंदगी बदलती हैं, यही कहानी है द अमेजिंग स्पाइडरमैन की.
The Amazing Spiderman’s Story
एक बड़ी प्रयोगशाला के सर्वेसर्वा बने डॉ. रजीत राठा (इरफान खान) का स्क्रीन पर आना सुखद लगता है. हालांकि, इरफान का किरदार निगेटिव शेड्स लिए हुए है लेकिन उनकी संवाद अदायगी और बॉडी लैंग्वेज इस किरदार को भी संतुलित बना देती है. हिंदी भाषा में हुई फिल्म देखने वाले दर्शकों को इरफान की आवाज से वंचित रहना पड़ेगा लेकिन अंग्रेजी के प्रिंट में आपको इरफान की ही आवाज सुनने को मिलेगी. स्पाइडरमैन के कारनामे आप पहले भी इस परंपरा की फिल्मों में देख चुके हैं तो फिल्म देखते समय शायद यह खटके कि स्पाइडरमैन इतनी देर तकपर्दे पर क्यों नहीं आ रहा है? लेकिन शुरुआती एक घंटे में एक बच्चे की भावनात्मक यात्रा आपको इस कदर बांधे रखती है कि स्पाइडरमैन के कारनामों का बाद में आना खलता नहीं.
पीटर पार्कर की प्रेमिका ग्वेन स्टेसी के किरदार में एमा स्टोन मासूम सी मुस्कान के साथ दृश्य दर दृश्य खूबसूरत लगती हैं. पीटर और ग्वेन के बीच स्कूल के एक दृश्य में दोनों एक जगह अपने प्रेम का इजहार करना चाहते हैं लेकिन दोनों कुछ नहीं कह पाते. स्कूल के कॉरिडोर में फिल्माया गया यह दृश्य आपके मन में खीझ पैदा कर सकता है कि दोनों मुद्दे की बात क्यों नहीं कर रहे लेकिन इस सीन की खूबसूरती भी यही है और संदेश भी साफ है. कभी-कभी न कह पाना बहुत कुछ कह जाना होता है.
नायक के चाचा बेन पार्कर यानी मार्टिन शीन के साथ कुछ अद्भुत इंटेंस सीन क्रिएट किए हैं निर्देशक मार्क वेब ने. जिसमें से एक है नायक का गुस्से में घर से निकल जाना और उसके पीछे चाचा का ढूंढते हुए घर से बाहर निकलना. दूसरा सीन इसी सीन के पहले हिस्से का इंटरकट है जब पीटर अपने चाचा से पिता के बारे में पूछता है कि क्या यह एक पिता की जिम्मेदारी नहीं होती कि वह अपने काम और अपने बारे में अपने बेटे को बताएं? अभिनय से जुड़ी एक अंतिम बात जो कर्ट कॉनर्स (रायस आईफैंस) के अभिनय की चर्चा किए बिना अधूरी रहेगी. अपने सपने के पूरा होने के ठीक पहले बिखर जाने की आशंका में व्यक्ति क्या कुछ कर गुजरता है, कर्ट ने दुर्दात भाव-भंगिमाओं के साथ बताया है.
फिल्म के थ्री डी इफेक्ट्स बेहतरीन हैं, पता नहीं क्यों हिंदी फिल्मों की थ्री डी तकनीक से ऐसा रोमांच नहीं पैदा होता. कुछ दृश्यों में तो लगता है कि स्पाइडरमैन का हाथ आपके चेहरे को छूकर निकल जाएगा. कैमरामैन जॉन स्वार्ट्जमैन द्वारा रेड एपिक कैमरे से शूट की गई यह हॉलीवुड की पहली फिल्म है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी स्पाइडरमैन के कारनामों के अनुरूप उतार-चढ़ाव वाला है.
(सौजन्य: जागरण)
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