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हिन्दी सिनेमा में विद्या बालन ने अब तक का सबसे जोखिम भरा रोल निभाया है फिल्म “द डर्टी पिक्चर” में. यह फिल्म साउथ की हॉट हिरोइन सिल्क स्मिता के जीवन पर आधारित है. फिल्म का जिस गर्मजोशी से प्रमोशन किया गया था उससे उसका परिणाम भी मिल गया. फिल्म को जबरदस्त ओपनिंग मिली है. दर्शकों ने फिल्म को पहली नजर में खूब सराहा है. हालांकि फिल्म थोड़ी एडल्ट है पर अब भारतीय दर्शक भी बड़े हो गए हैं और वह सब समझते हैं. फिल्म में द्विअर्थी संवाद तो हैं पर यह इतने भद्दे भी नहीं है जिन्हें आप झेल ना सकें. अगर फिल्म के प्रोमो में आपने सिर्फ फिल्म की सेक्स अपील को देखा है तो फिल्म में आपको ऐसे कई संवाद भी मिलेंगे जो आपका दिल खुश कर देंगे. जिस तरह फिल्म के एक संवाद में अभिनेत्री कहती है कि फिल्में सिर्फ एंटरटेनमेंट की वजह से चलती हैं उसी तरह फिल्म में भी आपको सिर्फ एंटरटेनमेंट ही मिलेगा.
फिल्मकानाम: द डर्टी पिक्चर
कलाकार: विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह, इमरान हाशमी, तुषार कपूर
निर्माता: एकता कपूर, शोभा कपूर
निर्देशक: मिलन लथुरिया
संगीत: विशाल-शेखर
रेटिंग: **** (4/5)
फिल्म की कहानी
‘द डर्टी पिक्चर‘80 के दशक की कहानी है जो रेशमा (विद्या बालन) के आसपास घूमती है. रेशमा का सपना है एक मशहूर अभिनेत्री बनना. शुरूआत में उसे थोड़ी परेशानी होती है पर वह जल्द ही पर्दे पर “सिल्क” बन कर धूम मचाने लगती है. रेशमा सिल्क बनकर स्टारडम का आनंद तो लेती है साथ ही उसे सच्चे प्यार की भी प्यास है. सबसे पहले उसे अपने को-स्टार सूर्यकांत(नसीरुद्दीन शाह) से प्यार होता है पर सूर्यकांत सिल्क से नहीं बल्कि उसके शरीर से प्यार करता है. सिल्क उसे छोड़ स्क्रिप्ट राइटर रमाकांत(तुषार कपूर) से प्यार करने लगती है लेकिन वह भी उसे धोखा देता है.
इसके बाद रेशमा का कॅरियर ढलान पर जाने लगता है और उसकी लोकप्रियता का ग्राफ गिरने लगता है. इसी दौरान रेशमा को निर्देशक इब्राहिम (इमरान हाशमी) से प्यार होता है जो कभी उससे नफरत करता था. इब्राहिम का प्यार रेशमा के लिए सच्चा है पर किसी कारणवश रहस्यमय तरीके से इब्राहिम की भी मौत हो जाती है. अब रेशमा का जीवन बद से बदतर हो जाता है और वह इन परिस्थितियों का सामना कैसे करती है यह देखने वाला होता है.
फिल्म की समीक्षा
फिल्म की कहानी बेहद मनोरंजक है. कहानी में ड्रामा, एक्शन और गीतों का बेहतरीन मेल है जो किसी भी हिन्दी फिल्म को सुपरहिट करने के लिए काफी है. फिल्म में कई गरमागर्म दृश्य भी हैं जिन्हें परिवार के संग देख पाना एक नामुमकिन काम है. अगर इन हॉट दृश्यों को निकाल भी दिया जाए तो सिल्क की सेक्स अपील भी इस फिल्म को परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य नहीं बनाती.
फिल्म में निर्देशक मिलन लथुरिया ने कलाकारों से बेहतरीन काम निकलवाया है. विद्या बालन को उन्होंने पूरी तरह सिल्क के रूप में ढाल दिया. इसके साथ ही नसरुद्दीन शाह और तुषार कपूर जैसे कलाकारों से भी उनका बेहतरीन काम निकलवाया है.
फिल्म में अगर अभिनय की बात करें तो विद्या बालन हर जगह छाई हुई हैं. फिल्म पूरी तरह उनके ईर्द-गिर्द घूमती है. विद्या बालन ने भी अपने अनुभव से सिल्क के किरदार को पर्दे पर जीवंत कर दिया है. विद्या बालन के अलावा नसीरुद्दीन शाह ने भी फिल्म में अपने किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है. इमरान हाशमी ने अपनी छवि के विपरीत फिल्म में किस सीन तो कम दिए हैं पर उन्होंने जिस तरह एक सच्चे आशिक की छवि पर्दे पर निभाई है उसे देखकर लगता है कि आने वाले सालों में वह जरूर कोई बेहतरीन फिल्म देंगे. तुषार कपूर से फिल्म में काफी उम्मीदें थीं पर उनका अभिनय कहीं भी स्वाभाविक नहीं लगा. कई जगह उनका अभिनय बनावटी लगा. अपने किरदार को वह उस स्तर तक नहीं ले जा सके जहां तक बाकी कलाकार लेकर गए हैं.
फिल्म की कहानी को और भी दिलचस्प बनाया है इसके संगीत ने. बप्पी दा के गाने “ऊ ला ला ऊला ला..” और इश्क सूफीयाना जैसे गीतों ने युवाओं का खूब मनोरंजन किया है. साथ ही पर्दे पर 80 के दशक के सिनेमा जगत को देखना भी दर्शकों के लिए एक बेहतरीन अनुभव रहा.
अगर आप इस फिल्म को अकेले या दोस्तों के साथ देखना चाहते हैं तो यकीन मानिए आप इस फिल्म को बार-बार देखना पसंद करेंगे साथ ही आपको फिल्म फुल पैसा वसूल लगेगी. हालांकि एक चीज साफ है कि यह फिल्म आप अपने बच्चों या परिवार के साथ देखने की भूल कतई नहीं कर सकते. फिल्म में मनोरंजन भरपूर है बस वह थोड़ा-सा अश्लील भी है लेकिन आप इसका मजा लेंगे.
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