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छोटे-मोटे अपराध करने वाला लड़का अचानक से नई जिंदगी की शुरुआत करने का फैसला लेता है और अपनी पहली ही नौकरी में एक लड़की से प्यार कर बैठता है. फिल्म ‘चोर चोर सुपर चोर’ की कहानी कुछ ऐसी ही है.
बैनर : केटसन मोशन पिक्चर्स
निर्माता : वेद कटारिया, रेणु कटारिया
निर्देशक : के.राजेश
संगीत : मंगेश धड़के
कलाकार : दीपक डोब्रियाल, अंशुल कटारिया, प्रिया बाठिजा, पारू उमा
रिलीज डेट : 2 अगस्त 2013
रेटिंग: ***
फिल्म चोर चोर सुपरचोर
शुक्लाजी नाम का किरदार दिल्ली में एक छोटा सा फोटो स्टूडियो चलाते हैं जिसकी आड़ में वह छोटे मोटे अपराध भी करते हैं. यहां तक कि उन्होंने कई युवाओं को अपराध करने और जेब काटने के तरीके भी सिखाए हैं लेकिन अचानक शुक्लाजी अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने का फैसला करते है और अपनी पहली ही नौकरी में उनकी मुलाकात नीना से होती है जिससे वह बेहद प्यार करने लगते हैं. फिल्म में रोचकता तब आती है जब बदमाश अमोल और उसकी गैंग के मंदबुद्धि गुंडों को अपने गैंग के लिए एक समझदार आदमी की तलाश होती है.
बदमाश अमोल और उसकी गैंग के मंदबुद्धि गुंडों को अपनी गैंग के लिए रॉनी नाम का लड़का पसंद आता है जो शुक्लाजी के साथ ही काम करता है. शुक्लाजी किसी भी कीमत पर रॉनी को उन बदमाश लोगों की गैंग से मिलने नहीं देते. रॉनी अपनी जिंदगी में हमेशा बड़ा अपराध करने की कोशिश में लगा रहता है इसलिए वो चोरों की गैंग में शामिल हो जाता है. कॉमेडी से भरपूर है फिल्म चोर चोर सुपर चोर की कहानी.
फिल्म निर्देशन सफल या नहीं
फिल्म में बेहद खूबसूरत तरीके से यह दिखाया गया है कि कैसे एक मिडल क्लास आदमी अच्छी जिंदगी के लिए तरसता रहता है. इसी कहानी की वजह से ही फिल्म की स्टोरी दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब होती है. फिल्मी किरदारों को आम लोगों की जिंदगी से बेहद करीब रखा गया है और ऐसे लोग दिल्ली के मॉल्स, हाईवे और अंधेरी गलियों में आसानी से मिल जाते हैं. ‘चोर चोर सुपर चोर’ फिल्म निर्देशन में इस बात की पूरी कोशिश की गई है कि कैसे कॉमेडी को बरकरार रखते हुए गंभीरता दिखानी है पर बहुत बार लोग कॉमेडी के साथ समाज की गंभीरता देखना नहीं चाहते है.
क्यों देखें: यदि आपको कॉमेडी फिल्म पसंद हैं.
क्यों ना देखें: यदि आप कॉमेडी फिल्म को गंभीरता के साथ नहीं देखना चाहते हैं
खूबसूरत लड़कियों को ताड़ना इनका शौक है !
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