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1 जुलाई से शुरु हुई अमरनाथ यात्रा इस समय अपने सफर पर है. हजारों की तदाद में शिव भक्त पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए सफर कर रहे हैं. भगवान शिव की आस्था और मार्ग की सुंदरता उसकी कठिनाई को नाम मात्र कर देती है. 14,000 फीट की ऊचांई पर स्थित इस पवित्र मंदिर के दर्शन हम सभी करना चाहते हैं लेकिन जीवन की भाग-दौड में कुछ ही खुशनसीब इस यात्रा पर जा पाते हैं.
इन सब के बावजूद हमारा प्रयास है कि आप सभी पाठक इस यात्रा का रोमांच उठा सकें. और इसीलिए हम इस आलेख में आपको अमरनाथ-यात्रा के विशेष पड़ावों के बारे में बता रहे हैं.
अमरनाथ गुफा के लिए दो रास्ते हैं पहला पहलगाम से और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से. पारंपरिक मार्ग पहलगांव से बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा की दूरी करीब 56 किलोमीटर है.
आज के अंश में बात होगी पहलगाम से लेकर पवित्र गुफा तक के सफर की.
पहलगाम: पहलगाम जम्मू से 314 किलोमीटर की दूरी पर है. यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहां का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है. पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस भी उपलब्ध रहती है. लोग निजी टैक्सी या अन्य साधनों से भी जाते हैं. पहलगाम में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाती है. तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा यहीं से आरंभ होती है.
यात्रियों का अगला पड़ाव पहलगाम से एक किमी नीचे ही ‘नुनवन’ में यात्री बेस कैम्प होता है. यहां सुरक्षा बलों द्वारा जांच-पडताल के पश्चात कैम्प में लगे तम्बुओं में यात्रियों के ठहरने की अच्छी व्यवस्था होती है. कैम्प के भीतर ही छोटा-सा बाजार भी होता है, जहां आवश्यकता की प्रत्येक वस्तु जैसे बरसाती, छड़ी, कंबल, गरम कपड़े, मोजे, जूते, दवाई इत्यादि मिलते हैं.
चंदनवाड़ी: श्री अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है. यह पहलगाम से मात्र 16 किमी दूर है. चंदनवाड़ी में बर्फ के पुल को लांघकर यात्री पिस्सू घाटी की सीधी चढ़ाई चढ़ते हैं जो शेषनाग नदी के किनारे चलती है. यहां जो प्रकृति का दृश्य देखने को मिलता है वह कहीं और नहीं दिखता. चारों ओर बर्फ पर्वत, ऊपर बादलों के शरारती खेल व नीचे मध्य में नीले रंग की झील अनुपम सौंदर्यमय दृश्य प्रस्तुत करती हैं.
शेषनाग झील: शेषनाग झील अद्भुत है. यहां तंबू [कैंप] लगाकर यात्री अपना दूसरा पडाव डालते हैं. ऐसी धारणा है कि भाग्यशाली भक्तों को शेषनाग झील में शेषनाग जी के साक्षात् दर्शन हुए हैं. शेषनाग और इससे आगे की यात्रा बहुत कठिन है. यहां बर्फीली हवाएं चलती रहती हैं.
पंचतरणी : आगे की यात्रा में भैरव पर्वत मिलता है. इसकी तलहटी में पंचतरिणी नदी है, जहां से पांच धाराएं निकलती हैं. मान्यता है कि पांचों धाराओं की उत्पत्ति शिवजी की जटाओं से हुई है. श्री अमरनाथ के दर्शन से पूर्व का यह तीसरा और अंतिम पडाव है. पंचतरणी से 3 किमी चलने पर अमरगंगा और पंचतरणी का संगम स्थल मिलता है. यहां से श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा लगभग 6 किमी दूर है.
इतनी लम्बी व कठिन यात्रा करके आए भक्तजनों की भीड़ में जैसे-जैसे यात्री नारे लगाते गुफा के करीब पहुंचते जाते हैं, उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता. पत्थर की गुफा में बर्फ के शिवलिंग या बर्फानी बाबा का होना, मानव कल्पना से परे ईश्वरीय-शक्ति का आभास कराते हैं.
दर्शन का समय: बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए तीर्थयात्री अमूमन मध्य जून, जुलाई और अगस्त में आते हैं. यात्रा के शुरू और बंद होने की घोषणा श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड करती है.
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