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भारत का ह्रदय मध्यप्रदेश देश-विदेश में अपने पर्यटन स्थलों, खान-पान, शिल्पकारी, बुनकरों के लिए जाना जाता है. तो आज मध्य प्रदेश के सफर में इस बार चलते हैं तालों के शहर भोपाल की सैर पर.
भोपाल की स्थापना राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी. उस समय राजा भोज की राजधानी धार थी. धार आज मध्य प्रदेश का एक जिला है. भोपाल नगर का पहले नाम ‘भोजपाल’ था जो भोज और पाल की संधि से बनाया गया था. वैसे आज के भोपाल शहर की स्थापना गोंड रानी ने की थी. भोपाल के दर्शनीय स्थलों में छोटा तालाब, बडा तालाब, भीमबेटका, अभयारण्य तथा भारत भवन हैं. इसके अलावा भोपाल के पास ही विश्व प्रसिद्ध सांची का स्तूप भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है. भोपाल से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मंदिर एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल भी है.
भोपाल के ताल से जुड़ी एक रोचक कहानी है, कहा जाता है कि राजा भोज एक बार बहुत बीमार पड़ गए. वैद्यों ने हाथ खड़े कर दिए तो एक ज्योतिषी ने कहा कि अगर राजा एक ऐसा ताल बनवाएं, जिसमें सात नदियों का पानी गिरता हो तो उनकी जान बच सकती है. राजा ने अपने मंत्रियों को ऐसी जगह ढूंढने का आदेश दिया और वह जगह वहीं मिली जहां अब भोपाल है. पर यहां कुल पांच नदियां थीं. थोड़ा और खोजने पर 15 मील दूर दो नदियां और मिलीं. उन्हें एक सुरंग के रास्ते यहां तक लाया गया और बांध बनाकर उनका पानी रोका जाने लगा. इधर ताल बनता गया उधर राजा की हालत सुधरती गई.
भोपाल के दर्शनीय स्थल
लक्ष्मीनारायण मंदिरः बिरला मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है.
ताज-उल-मस्जिदः यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है. इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवनपर्यंत यह बन न सकी.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालयः यह अनोखा संग्रहालय शामला की पहाडियों पर 200 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है.
भीमबेटका गुफाएं: दक्षिण भोपाल से 46 किमी. दूर स्थित भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं. यह गुफाएं चारों तरफ से विन्ध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं. जिनका संबंध नवपाषाण काल से है. इन गुफाओं के अंदर बने चित्र गुफाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हैं. यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है.
भोपाल जिस चीज के लिए इतना प्रसिद्ध है वह है उसके झील. झील में आप नौका-विहार, हाउस-बोट आदि का भी जरुर मजा लें. भोपाल के सफर को यादगार बनाने के मानसून का मौसम ही सर्वोत्तम होता है.
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