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चंबा घाटी रावी नदी के दाएं किनारे पर बसा एक छोटा-सा खूबसूरत सैरगाह है. प्राकृतिक सौन्दर्य और दैविक मंदिरों की बहुलता के साथ रोमांच प्रेमियों के लिए यह एक ऐसी जगह है जहां वह बार-बार आना चाहते हैं.
मंदिरों से उठती धार्मिक गीतों की आवाज जहां वातावरण को आध्यात्मिक बना देती हैं, वहीं रावी नदी की निकटता और पहाड़ों की ओट से आते शीतल हवा के झोंके सैलानियों को ताजगी का अहसास कराते हैं.
मंदिरों की बहुलता
चम्बा में मंदिरों की बहुतायत होने के कारण इसे ‘मंदिरों की नगरी‘ भी कहा जाता है. यहां लगभग 75 मंदिर हैं जिनमें से कुछ मंदिर शिखर शैली के हैं और कुछ पर्वतीय शैली के. लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह चम्बा का सर्वप्रसिद्ध देवस्थल है. इस मंदिर समूह में महाकाली, हनुमान, नंदीगण के मंदिरों के साथ-साथ विष्णु व शिव के तीन-तीन मंदिर हैं.
यहां के सिद्ध चर्पटनाथ मंदिर में अवस्थित लक्ष्मीनारायण की बैकुंठ मूर्ति कश्मीरी व गुप्तकालीन निर्माण कला का अनूठा संगम है .इस मूर्ति के चार मुख व चार हाथ हैं. मूर्ति की पृष्ठभूमि में तोरण है, जिस पर दस अवतारों की लीला चित्रित है.
प्रकृति का अदभुत नजारा
चंबा चारो ओर से घाटियों से घिरा हुआ है जो इसके प्राकृतिक सौंदर्य को रोचक बनाता है. यहां लोग अक्सर ट्रैकिंग के मकसद से भी आते हैं. घाटियों की चढ़ाई रोमांचकारियों को आने का जैसे न्यौता देती है. घाटी की सुंदरता का वर्णन शब्दों से मुश्किल है.
तो अगली बार अगर आप हिमाचल जा रहे हों तो चंबा जरुर जाएं. चाहे आप परिवार के साथ हों या दोस्तों के साथ प्रकृति और रोमांच की तलाश चंबा में एक साथ पूरी हो जाती है.
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