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मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों में धार एक अहम स्थान रखता है. ऐतिहासिक इमारतों से घिरा यह जिला मध्य प्रदेश के लिए किसी पुरातत्व स्थल की अहमियत रखता है. यहॉ के लोगों ने अपने आपको ललित कला, चित्रकारी, नक्काशी, संगीत व नृत्य इत्यादि में संलिप्त रखा था, इसीलिए यहां पुरातत्व से संबंधित कई प्रमाण मिलते हैं. इस संपूर्ण जिले में बहुत से धार्मिक स्थल हैं, जहां वार्षिक मेलों के आयोजन में हजारों लोग एकत्र होते हैं. इस जिले का मुख्यालय धार शहर है.
यहां भारतीय चित्रकला का अनूठा नजारा देखने को मिलता है. यहां की बौद्धकला भारत ही नहीं एशिया में भी प्रसिद्ध है.
धारकिला: नगर के उत्तर में स्थित यह किला एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है. लाल बलुआ पत्थर से बना यह विशाल किला समृद्ध इतिहास के आइने का झरोखा है, जो अनेक उतार-चढ़ावों को देख चुका है. 1857 के विद्रोह दौरान इस किले का महत्व बढ़ गया था. क्रांतिकारियों ने विद्रोह के दौरान इस किले पर अधिकार कर लिया था.
हिंदू, मुस्लिम और अफगान शैली में बना यह किला पर्यटकों को लुभाने में सफल होता है.
भोजशाला मस्जिद: भोजशाला मस्जिद मूल रूप से एक मंदिर के तौर पर स्थापित था, जिसे राजा भोज ने बनवाया था. लेकिन जब अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना तो यह क्षेत्र उसके साम्राज्य में मिल गया. उसने इस मंदिर को मस्जिद में तब्दील करवा दिया.
बाघ गुफाएं: इन गुफाओं का संबंध बौद्ध धर्म से है. यहां अनेक बौद्ध मठ और मंदिर देखे जा सकते हैं. अजंता और एलोरा गुफाओं की तर्ज पर ही बाघ गुफाएं बनी हुई हैं. इन गुफाओं में बनी प्राचीन चित्रकारी मनुष्य को हैरत में डाल देती है. इन गुफाओं की खोज 1818 में की गई थी. ऐसी मान्यता है कि दसवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म के पतन के बाद इन गुफाओं को मनुष्य ने भुला दिया था और यहां बाघ निवास करने लगे. इसीलिए इन्हें बाघ गुफाओं के नाम से जाना जाता है.
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