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मध्य प्रदेश के सफर में इस बार हम आपको लेकर चलते हैं जंगलों की सैर पर. मध्य प्रदेश जिसे वैसे तो लोग मूर्ति कला, गुफाओं और अपनी एक अनोखी संस्कृति के लिए जानते हैं, वहां जंगलों का सौन्दर्य भी देखने योग्य होता है. यहां कई नेशनल पार्क हैं जैसे बांधवगढ़ नेशनल पार्क, कान्हा नेशनल पार्क, माधव नेशनल पार्क, पन्ना नेशनल पार्क आदि. आज हम आपको ले चलते हैं इन सबमें सबसे बडे कान्हा नेशनल पार्क के सफर पर.
कान्हा नेशनल पार्क भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है. कान्हा शब्द कनहार से बना है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ चिकनी मिट्टी है. यहां पाई जाने वाली मिट्टी के नाम से ही इस स्थान का नाम कान्हा पड़ा.
कान्हा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में है और ये सतपुड़ा की मयकल पहाडियों में स्थित है. यह स्थान अपनी समृद्ध वनस्पति और जीव-जंतु के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है. कान्हा के साल वृक्ष और बांस के जंगल, लंबे-लंबे घास के मैदान और लहराती नदियां लगभग 940 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हैं जो प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1974 में बनाए गए कान्हा टाइगर रिजर्व का केन्द्र बनाती हैं और यह एक मनमोहक प्राकृतिक दृश्य उपल्ब्ध कराती है. यह पार्क दुर्लभ बारहसिंहा को देखने की एकमात्र जगह भी है.
बारहसिंहा : आप यह कह सकते हैं कि बारहसिंहा(जो कि हिरण की एक प्रजाति होती है) कान्हा का प्रतिनिधित्व करता है. बीस साल पहले से बारहसिंहा विलुप्त होने की कगार पर थे. लेकिन यहां कुछ उपायों को अपनाकर उन्हें विलुप्त होने से बचा लिया गया. दिसम्बर माह के अंत से जनवरी के मध्य तक बारहसिंहों का प्रजनन काल रहता है. इस अवधि में इन्हें बेहतर और नजदीक से देखा जा सकता है. बारहसिंहा पाए जाने वाला यह भारत का एकमात्र स्थान है.
बाघदृश्य
यहां टाइगर रिजर्व के अंतर्गत बाघों का संरक्षण किया जाता है और उनके प्रजनन आदि की व्यवस्था की जाती है. बाघों को नजदीक से देखने के लिए पर्यटकों को हाथी की सवारी की सुविधा दी गई है. इसके लिए भारतीयों से 100 रूपये और विदेशियों से 600 रूपये का शुल्क लिया जाता है
यहां पर पक्षियों के मिलन स्थल का विहंगम दुश्य भी देख सकते हैं. यहां लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां हैं. पक्षियों की इन प्रजातियों में स्थानीय पक्षियों के अतिरिक्त सर्दियों में आने प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं. यहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षियों में सारस, छोटी बत्तख, पिन्टेल, तालाबी बगुला, मोर-मोरनी, मुर्गा-मुर्गी, तीतर, बटेर, हर कबूतर, पहाड़ी कबूतर, पपीहा, उल्लू, पीलक, किंगफिशर, कठफोडवा, धब्बेदार पेराकीट्स आदि हैं
कान्हा में आपको ऐसे कई जीव जन्तु मिल जाएंगे जो दुर्लभ हैं. पार्क के पूर्व कोने में पाए जाने वाला भेड़िया, चिन्कारा, समतल मैदानों में रहने वाला भारतीय ऊदबिलाव और भारत में पाई जाने वाली लघु बिल्ली जैसी दुर्लभ पशुओं की प्रजातियों को यहां देखा जा सकता है.
पार्क की सैर का उपयुक्त समय नवंबर से मई तक है. दिसंबर से फरवरी के मध्य आने वाले पर्यटकों को ऊनी वस्त्र भी साथ रखने चाहिए
पिकनिक मनाना हो या साहसिक यात्रा करना हो कान्हा नेशनल पार्क दोनों के लिए सर्वोत्तम जगह है. अपनी छुट्टियों को यादगार बनाने के लिए कान्हा नेशनल पार्क जरुर जाएं.
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