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केरल में खानपान की विविधता अपने भौगोलिक, ऐतिहासिक और पर्यावरण के हिसाब से है. वैसे तो इसे मूलत: दो भागों में बांटा जाता है पहला मासांहारी और दूसरा शाकाहारी. मांसाहारी भोजन में जहां मसालों का भरपूर प्रयोग होता है वहीं शाकाहारी भोजन में हल्के मसालों के साथ सब्जियों की विविधता देखने को मिलती है.
केरल के भोजन की सबसे ज्यादा अहम बात है नारियल का प्रयोग. इस क्षेत्र में नारियल का तेल, उसका पानी और गरी तीनों चीजों का भरपूर इस्तेमाल होता है. नारियल के तेल में व्यंजन पकते हैं, उसकी गरी की चटनी बनती है तथा व्यंजनों में भी नारियल का इस्तेमाल होता है. सांभर को केरल की पहचान माना जाता है. सांभर वडा, इडली डोसा और अन्य साउथ इंडियन भोजन तो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं ही लेकिन जो बात यहां के पारंपरिक भोजन में है वह कहीं और नहीं.
सद्या – सद्या केरल का पारापंरिक भोजन है जो यहां सबसे प्रसिद्ध है. उबले चावल, विभिन्न सब्जियां, चटपटे व्यंजन और मीठे पकावानों से भरपूर इस खाद्य श्रृंखला की विशेष बात है इसका पौष्टिक स्तर. यह भोजन सबसे पौष्टिक होता है.
इस भोजन की शुरुआत चने की सब्जी से होती है जिसके बाद सांभर परोसा जाता है. इस खाने के कुछ अहम अंग होते हैं उपरी (केले के चिप्स), पपादम और खिचड़ी.
केरल के शाकाहारी भोजन की एक झलक :
केरल के मांसाहारी भोजन की एक झलक:
तो केरल के इस खास पाक कला का आनंद लेने वहां जरुर जाएं क्योंकि जो स्वाद वहां के खाने में होगा वह किसी और होटल आदि में मिलना मुश्किल है.
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