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इरादा हो अटल तो मोजजा ऐसा भी होता है, दिए को जिंदा रखती है हवा ऐसा भी होता है।’ इच्छाशक्ति पर केंद्रित जफर गोरखपुरी का यह शेर इस शहर की राधा यादव की जिंदगी पर बिलकुल सटीक बैठता है। एचआईवी से पीड़ित राधा का जीवन उन लोगों के लिए नजीर बन चुका है जो इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद मुंह छिपाए रहते हैं। स्वयं एचआईवी से पीड़ित होने के बावजूद खुद के इलाज के साथ-साथ राधा आज सैकड़ों एचआईवी पाजिटिव लोगों के इलाज में जुटी हैं। एचआईवी नामक एक वायरस ने राधा के जीवन को जो मानसिक, शारीरिक व सामाजिक आघात पहुंचाया, उससे विचलित न होकर राधा ने उसे अपनी ताकत बनाई और जुट गई एड्स के उन्मूलन में।
राधा की खुद की कहानी बहुत दुखद है। शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार के युवक से प्रेम विवाह करने वाली राधा को यह बीमारी उसके पति के द्वारा ही मिली। राधा का कहना है कि जब तक इस बात का पता परिवार वालों को नहीं था तब तक सब मिलजुल कर रहते थे लेकिन उसके बाद लोगों ने दूरियां बना लीं। इसी बीच राधा के बच्चे की मौत ने उसे और तोड़ दिया। ससुराल वालों ने राधा का परीक्षण कराया तो उसमें भी एचआईवी के लक्षण पाए गए। बीमार राधा अपने पति के इलाज में लगी रही। राधा का कहना है कि बीमारी के बाद ससुराल वालों द्वारा तरह-तरह से उसे परेशान किया जाने लगा। राधा का कहना है कि उसके पति को एक कमरे में बंद रखा जाता था। इसके बाद उसने अपनी आपबीती वर्ष 2005 में तत्कालीन एसएसपी बीके सिंह से बताई। उन्होंने तत्काल पुलिस फोर्स भेजकर राधा को उसके पति से मिलवाया। राधा के पति ने वर्ष 2005 में ही साथ छोड़ दिया, वह स्वर्ग सिधार गए। राधा का कहना है कि जिस बीमारी ने उसके परिवार को तोड़कर रख दिया उस बीमारी से अब वह उम्रभर लड़ेंगी और लोगों को भी ऐसी परिस्थितियों में जीना सिखाएंगी। इलाज के दौरान ही राधा की मुलाकात एड्स के उन्मूलन में लगे यूपी पाजिटिव नेटवर्क के लोगों से हुई। मायके पक्ष के सहयोग से राधा उनके साथ इस मुहिम में जुट गई और आज डीएलएन नामक संस्था की अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए वह एड्स पीड़ितों को स्वस्थ्य करने में जुटी हैं। राधा का कहना है कि इस एक वायरस ने उसके जीवन में जो दर्द दिया उस दर्द ने उसे इस बीमारी से लडने की ताकत दी और इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को लेकर मरी तरह कोई और प्रताडना न उडाए इसके लिए डीएलएन के माध्यम से वह अपनी एचआईवी के खिलाफ अपनी जंग जारी रखेंगी। एड्स पीड़ितों को तलाशना, रोग से लड़ने के लिए उन्हें प्रेरित करना राधा का जुनून बन चुका है। राधा का कहना है कि ऐसे व्यक्तियों का तिरस्कार न करें। उनका सहयोग करें उन्हें इस बीमारी से लड़ने की प्रेरणा दें। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति समाज के डर से बाहर नहीं निकलता। ऐसे लोगों को इलाज के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें जीवन दें। राधा का कहना है कि इस बीमारी से डर कर मुंह छिपाने की जरुरत नहीं है। जरुरत है दुगने आत्मविश्वास के साथ इससे लडने की।
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