Ghajal
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याद आती है बहुत मुझको उन तक ले चलो
बैठी है पलकें बिछाये उस चमन तक ले चलो।।१
अटकी है ये जिंदगानी बीच इस मझधार में
तोड़ कर बंधन ये सब अपने सदन तक ले चलो।।२
है बहुत पछतावा मुझको अपनी ही करनी पे अब
दर्द से आहत हो जाऊं उस चुभन तक ले चलो।।३
इश्क़ में करती हैं अक्सर बेवफाई इस कदर
चाहते हैं जानना अब उनके मन तक ले चलो। ४
है बिताया वक़्त इन परदेश की गलियों में पर
याद आती है बहुत मेरे वतन तक ले चलो।।५
हिज़्र की ये रातें फिर कटती नही है ‛जय’ से अब
दूर इन जख्मों से जीवन के सुखन तक ले चलो।।६
मेरी कलम✍✍
नाम – जय गुप्ता
फ़ोन नंबर – 8949195560
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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