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जय गुरुदेव,
उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है. परम पूज्य स्वामीजी महाराज इस समय मथुरा आश्रम में ही हैं और पालिखेड़ा आश्रम पर प्रेमियों द्वारा सेवा कार्य चलाया जा रहा है. सेवा के दौरान परम पूज्य स्वामीजी महाराज अपनी गाड़ी पर विराजमान रहते हैं और प्रेमीजनो को सेवा और गुरुदर्शन के दोहरे लाभ का आनंद मिलता है. सेवा में लगे प्रेमियों पर ठण्ड का कोई असर नहीं दिखाई देता.
हमारे आसपास की बदलती सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और नैतिक परिष्ठितियाँ दिन पर दिन भयावह रूप लेती जा रही हैं. दशको पहले परम पूज्य स्वामीजी महाराज ने माताओ बहनों को समाज की धुरी बताते हुए मर्यादित आचरण में रहने को कहा था परन्तु आज नारी को मीडिया और सिनेमाघरों में एक भोज विलास की वस्तु के रूप से दिखाया जा रहा है. सालो पहले जो क्रियाये धार्मिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य थी आज वो प्रचलन में आ चुकी हैं. चाहे वो अधिक धन कमाने और लालच के वशीभूत हो किया जाने वाला भ्रस्टाचार या मनोरंजन के नाम पर टी. वी. और सिनेमा पर दिखाए जाने वाले ओंछे और भद्दे चलचित्र. यहाँ तक कि लोकतंत्र का स्तम्भ और जनता कि आवाज़ कहे जाने वाले समाचार चैनल और अखबार भी निम्न स्तर कि खबरों से भरे हुए रहते हैं. कलयुग के चरमोत्कर्ष में पतन कि इस माहौल केवल संत सतपुरुष का ही आसरा है. जिनकी दया कृपा और मार्गदर्शन से मानव जाति का हित हो सकता है.
चाहे वो सूरदास जी द्वारा रहित सूरसागर हो या मुसलमानों के धर्मग्रन्थ सबमे परिवर्तन और भारी पैमाने में जन मानस की हानि की बात की गयी है. परम पूज्य स्वामीजी महाराज ने बारम्बार इस बात की और इशारा किया है और कहा कि प्रेमीजन सांसारिक कार्यो में जादा उलझे नहीं, व्यर्थ कि लड़ाई झगड़ो और फसाव से दूर रहे. अधिक से अधिक समय साधना (सुमिरन, भजन, ध्यान) करने में लगाये ऐसा करने वाले प्रेमी बुरे वक्त कि मार से बचे रहेंगे.
जय गुरुदेव नाम प्रभु का
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