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जन जागरण के लिए फिर निकला बाबा जय गुरुदेव का काफिला

जय गुरुदेव
जय गुरुदेव
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जय गुरुदेव,

हाल ही में बाबा जय गुरुदेव जी महाराज ने उत्तरप्रदेश का दौरा किया.  संतमत में गुरुदर्शन का बड़ा महत्व है.  कहा जाता है कि समर्थ गुरु के दर्शन में मन में निर्मलता आती है और यदि गुरुमुख से सत्संग मिल जाये तो समझो भाग्योदय हो गया.  एक समर्थ संत का भौतिक रूप तो जगत को दिखावे के लिए होता है परन्तु जो स्वरुप साधक अन्दर देखता उसमे गुरु का स्वरुप प्रकाश है करोडो सूर्यो का प्रकाश इतना प्रकाश के ये सांसारिक आंखे देख नहीं सकती और बुद्धि बर्दास्त नहीं कर सकती. वो केवल आत्मा ही अनुभव करती है.  उसे ही विभिन्न मतों में Light, नूर कहा गया है. उत्तरप्रदेश दौरा जो कानपूर से शुरू हुआ उसमे स्वामीजी महाराज ने उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर,  वाराणसी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रामपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, गाज़ियाबाद, नॉएडा, दिल्ली तथा बल्लभगढ़ (हरियाणा)  में प्रेमियों को दर्शन दिए और दर्शन लिए.  जगह जगह जो प्रेमियों कि जो भीड़ जुटी उसकी गिनती संभव नहीं.  १५ अप्रैल २०१० को स्वामीजी महाराज मथुरा पहुचे. इनमे से जिस जिस जगह स्वामीजी महाराज में सत्संग किया वहां केवल और केवल आत्मा के कल्याण के विषय में ही कहा और जीवात्मा के मोक्ष का रास्ता यानि अमोलक नामदान दिया. नामदान अमोलक इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो बिना गुरु कि दया के नहीं मिलता और यदि दया न हो तो संसार कि सारी  पूँजी देकर भी उस भेद को नहीं पा सकते.

मथुरा पहुचने के २ सप्ताह के भीतर फिर से एक काफिला २८ अप्रैल २०१० को निकल गया. पूर्णिमा के अवसर पर मथुरा में सत्संग और नामदान देने के बाद ही काफिला निकल पड़ा और इस बार काफिला राजस्थान से शुरू हुआ और भरतपुर, हिन्दौन होते हुए गंगापुर पहुच चूका है आगे बढ़ते हुए इसके अन्य प्रान्तों में जाने कि उम्मीद है. इस गरमी के मौसम में जहाँ एक सामान्य आदमी परेशान है वैसे में ११० साल कि उम्र के संत द्वारा काफिला निकल कर लोगो को चेतन आत्मा कि कमाई के लिए जागरूक करना एक असाधारण बात है. अभी तक भरतपुर और हिंडौन में भारी भीड़ जुटी लोग गरमी को मात देते हुए साईकिल, मोटर साईकिल, कार, जीप, ट्रैक्टर तथा बसों से सत्संग स्थल तक पहुचे.

आज सामान्य आदमी हर तरह से परेशान है. बढती महंगाई, गिरता हुआ चारित्रिक स्तर,  स्वार्थ परक व्यवहार, अमानुषिक खानपान, बेरोज़गारी, नई नई प्राणघातक बीमारिया ऐसे में मीडिया द्वारा इतने बड़े जनकल्याणकारी  तथा आत्मा के कल्याणकारी असाधारण कार्य  को मीडिया द्वारा कोई कवरेज़ नहीं दिया जा रहा है. लोकतंत्र का स्तम्भ कहे जाने वाला मीडिया का सहयोग बहुत ज़रूरी है. यदि जनहित कार्यो को जनता तक पहुचाने में मीडिया सहयोग करे तो समाज और देश कि तस्वीर कुछ और ही हो जाये.

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