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जयगुरूदेव मेला मथुरा में जिसमें भण्डारे के अवसर पर बाबा जी ने अपना आध्यात्मिक संदेष सुनाया, समाप्त हो गया है किन्तु उसकी यादें मथुरा वासियों भूली नहीं हैं। पिछले सभी रिकार्ड टूट गये हैं। बाबा जी ने मंच पर पत्रकारों को बुलाकर जनता के सामने प्रार्थना किया कि इस संदेष को पूरे देष के अन्दर प्रसारित व प्रकाषित कर दें। समाचारों में लड़ाई-झगड़े, मारकाट, अपहरण, हत्या तथा बुराइयों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसे समाचारों को लिखने में कागज और लेखनी अषुद्ध हो जाती है और भावनायें दूषित एवं विकृत हो जाती हैं। अच्छी बातें चरित्र की, मानव सुधार की देष व मानव हित की लिखी जानी चाहिए जिससे लोगों में अच्छी भावनायें व श्रद्धा पैदा हो सके। अभी तक जो कुछ देष में हुआ आपने देख लिया कि कितना राष्ट्रीय, सम्पत्ति और जान-माल का नुकसान हुआ है। जनसमुदाय इस कार्यक्रम में आया हुआ है ये मेरी जातिय मेहनत का परिणाम है कि इस आदमी के पीछे करोड़ों लोग देष के चल रहे हैं और उन्होंने अपने हाथों में माला पकड़ लिया है। वे अपनी व्यवस्था अपने आप करते हैं। जिले के अधिकारियों, कर्मचारियों ने अच्छी तरह देख लिया और वे इस दृष्य को भूल नहीं सकते। यदि मेले में हजारों अधिकारी, कर्मचारी लगा दिये जायें तो कुछ नहीं कर सकते। यह प्रेमियों की स्वयं की व्यवस्था है। सरकार को विचार करना चाहिए कि ये भारत की जनता है, धर्म भावनाओं से प्रेरित है। इसे भड़कने मत दीजिए और अगर भड़क गई तो पढ़िये कि इतिहास में क्या लिखा है। यह एक ऐसी गाय है जो यदि भड़क गई तो बड़े से बड़े सल्तनत को पलटने में इसे देर नहीं लगेगी
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