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7 अक्टूबर 1972 को बाबा जयगुरूदेव जी महाराज ने कहा कि आज देश में नेताओं द्वारा गरीब सताये जा रहे हैं। सारी मंहगाई का भार गरीबों पर पड़ता है। देश में किसान और मजदूर ही गरीब हैं जिन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एम.पी., एम.एल.ए., पदाधिकारी तथा सभी दफ्तरों के खर्चों को देना पड़ता है। आन्दोलन, हड़ताल, तोड़फोड़, के कुल खर्चें किसान देते हैं। भारत की आजादी में एक मात्र दिल्ली की कुर्सी बचाओ, कानून में परिवर्तन करो यह एक मात्र काम विधान सभाओं का, राज्य सभाओं का रह गया है। काम की बात नहीं, रिश्वत बन्द करने की बात नहीं, आन्दोलन, हड़ताल-तोड़फोड़ बन्द कराने की कोई बात नहीं।
अगर देश में पांच आदमी कर्मठ तैयार हो जायें तो देश का सुधार हो सकता हैं। फिर गांधी महात्मा के स्वपनों को पूरा करने में क्या देर लगती है। इन अक्लमंदों ने देश का कबाड़ा करके रख दिया और इन्हें अलग कर दिया जाएगा। आगे शासन में वही लोग होंगे जो धर्मनिष्ठ होंगे, प्रजा का पूरा ख्याल करेंगे और एक पैसा रिश्वत नहीं लेंगे।
हमारा उद्देश्य धर्म से है। हम चाहते हैं कि अपनी सोई हुई जीवात्मा को जगाकर अनन्त कोटि सर्व अनामी महाप्रभु के पास सतगुरू की दया लेकर पहुंचा दिया जाए। यहां पर कर्म भुगतान से नाना प्रकार के कष्ट तथा नाना योनियों में भ्रमण करता हुआ जीव मनुष्य शरीर से हाथ धो बैठता है और क्षणिक सुख के लिए मनुष्य तन द्वारा कलंकित होकर नर्कगामी बनता है।
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