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मथुरा आश्रम पर प्रेतबाधा से पीड़ित लोग लगभग प्रतिदिन आ रहे हैं इस उम्मीद से कि बाबा जयगुरूदेव जी महाराज की दया से आराम मिल जाऐगा। बाबा जी के आदेश से प्रेतात्माओं को शाम को अन्धेरे में भोजन दिया जाता है जिसे बाबा जी के दो-तीन प्रेमी यह काम करते हैं। इस क्रिया में मनुष्य जिसके ऊपर प्रेतबाधा होती है उसको कोई परेशानी नहीं होती। सामान्यतः एक सप्ताह के बाद आराम मिलने पर लोग अपने घरों को लौट जाते हैं। बाबा जी के शब्दों में कुछ प्रेतात्माऐं जिद्दी होती हैं अतः उन्हें हटाने में थोड़ा समय लगता है।
प्रेतबाधा से पीड़ित लोगो को कई प्रकार की परेशानिया रहती हैं जैसे खुद की सुध बुध खो जाना, भूख मर जाना, असामान्य मनुष्य की हरकते करना, कभी कभी शरीर के विभिन्न अंगो में पीड़ा होती है। इस तरह की बहुत सी शारीरिक परेशानिया हो सकती हैं जिन्हें लिख पाना भी संभव नहीं। इस सब में एक बात समान होती है प्रेतबाधा से उपजी शारीरक परेशानी में दवा का कोई असर नहीं होता और वो डाक्टरों को पकड़ से परे होती हैं। चिकित्सा विज्ञानं के नयी नयी मशीने भी उन्हें पकड़ नहीं सकती जिसके फलस्वरूप लोग अनायास अपना समय और पैसा बर्बाद करते हैं और दुखी होते हैं। कभी कभी ऐसे में प्राण भी चले जाते हैं और मनुष्य कुछ नहीं कर पाता।
हत्याऐं बहुत होने लगी हैं। अकाल मृत्यु को प्राप्त जीवात्माऐं प्रेत योनि में चली जाती हैं और बची हुई स्वांसों को उन्हें उस योनि में बिताना पड़ता है। महात्माओं के आदेश को वो टाल नहीं सकती और महात्मा जोर जबर्दस्ती भी नहीं करते हैं। उन्हें भरपेट भोजन खिलाकर कुछ दिन में प्रसन्न कर देते हैं और वो चली जाती हैं। यह परम पूज्य बाबा जय गुरुदेव जी महाराज की दया, सामर्थ्य और शक्ति का प्रगट प्रमाण है। महात्मा चमत्कारों के माध्यम से अपनी शक्तियों और अपने सामर्थ्य का प्रमाण देते हैं समय रहते उसे समझ लेने में ही मनुष्य जाति की भलाई है।
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