- 27 Posts
- 238 Comments
हंसने दो हँसाने दो,नए गीत सार्थक बनाने दो,
सृष्टि की देन हूँ मैं,मुझे जीवन गुनगुनाने दो,
नन्ही सी निर्दोष जान हूँ,पापा-मम्मी बुलाने दो,
बेटी को सहेजो,अपनी पहचान बन पल जाने दो,
बापू मुझे आने दो।
पापा कह बोलूंगी,मम्मी आँचल संग खेलूंगी,
उंगली पकड़ तुम्हारी मैं ठुमक-ठुमक डोलूँगी,
मुझको मत रोको बापू,मुझको भी तो जीना है,
जीवन संगीत में,सुर बनकर घुल जाने दो,
बापू मुझे आने दो।
बच्चों संग मैं भी दौड़ के स्कूल पढ़ने जाऊँगी,
पढ़ लिख कर मैं भी,तुम्हारा सम्मान बढ़ाऊँगी,
टीचर,पायलट,अफसर या नेता बन दिखाऊंगी,
डाक्टर,इंजीनिअर,वकील या सेना में जाने दो,
बापू मुझे आने दो।
न रहूंगी मैं तो,राखी त्यौहार का क्या होगा ?
बेटी न होगी तो, बहन शब्द भी कैसे होगा ?
तुम्हारे आँगन में मैं, गुड़िया के संग खेलूंगी,
रंग -बिरंगे कपड़ों में, मुझे सपने सजाने दो,
बापू मुझे आने दो।
बेटी न होगी तो सोचो,देहरी बारात कैसे आएगी ?
कन्यादान और हल्दी की रस्म भी टूट ही जायेगी,
गर बेटी न होगी तो,घर में कभी बहू भी न आएगी,
दादी-नानी के नाम का मतलब आगे बढ़ाने दो,
बापू मुझे आने दो।
बेटी होगी घर में तो,संग रौनक भी वो लाएगी,
मीठी-मीठी बातों से तुम्हारी थकान मिटाएगी,
कन्या भ्रूण हत्या,जघन्य अपराध खुदसे न होने दो,
अपनी ही रचना को,तुम गुमनामी में यूँ न खोने दो,
बापू मुझे आने दो।
( जयश्री वर्मा )
मेरे विचार से “कन्या भ्रूण हत्या” के खिलाफ यदि पिता मजबूत कदम उठायें तो यह बुराई रोकी जा सकती है |
Read Comments