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मैं तुमसे मिली थी

Zindagi Rang Shabd
Zindagi Rang Shabd
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सूरज की लाली की गर्माहट में,
पुष्प-पंखुड़ी की मुस्कराहट में,
कैनवास के रंगों की लकीरों में,
शरारत से भरे नयनों के तीरों में,

 

झरने से उड़ती हुई शीतलता में,
मन की कमजोर सी अधीरता में,
गीतों की सुरीली सी सुरलहरी में,
लपट जैसी दहकती दोपहरी में,

 

कल्पना की आसमानी उड़ान में
संध्याकाल धुंधले से आसमान में,
यादों की सड़क के हर मोड़ में,
क्षितिज के मिले-अनमिले छोर में,

 

रात इठलाते चाँद की चमक में,
नदिया की लहरों की दमक में,
तितली के तिलस्मयी से पंखों में,
इंद्रधनुष के जादुई सप्त-रंगों में,

 

नवयौवना की खिलखिलाहट में,
कहानी की अंतरंग लिखावट में,
फूलों से महकती हुई अंजुरी में,
पेड़ से मदहोश लिपटी मंजरी में,

 

तालाब में तैरती हुई कुमुदनी में,
पंछी कतार छवि मनमोहिनी में,
हरसिंगार के दोरंगे से फूलों में,
और यौवन की मीठी सी भूलों में,

 

जब भी खूबसूरती की बात हुई-
मैं सच कहती हूँ
मैं तुमसे मिली थी
क्या तुमने अब भी नहीं पहचाना,
अरे मैं! हृदय की कोमल भावना।

 

 

 

नोट : इन विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं।

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