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चाय के प्याले में चाहिए थोड़ी सा शक्कर,
बहुत सीधे रास्तों में बस थोड़ा सा चक्कर।
दाल की कटोरी में बस थोड़ा सा नमक,
कपड़ों को चाहिए बस थोड़ी सी दमक।
हरी-भरी डाली में थोड़ा फूलों का रंग,
बहुत सारे प्यार में बस थोड़ी सी जंग।
पति को चाहिए पत्नी की थोड़ी मुस्कान,
पत्नी को बस थोड़ा सा मान-सम्मान।
शिष्य को चाहिए गुरु का थोड़ा सा ज्ञान,
योगी को चाहिए थोड़ा एकांत और ध्यान।
सभ्य,शांत,चित्त बीच बस थोड़ी सी शरारत।
मुर्दनी के बीच थोड़ी सी शरारत की हरारत।
चहुँ ऒर शोर बीच चाहिए थोड़ी सी शांति,
विश्वाश ही विश्वाश बीच थोड़ी सी भ्रान्ति।
गर्मियों में चाहिए बस थोड़ा ठंडा सा पानी,
सर्दियों में थोड़ी धूप संग सच्ची-झूठी कहानी।
जन्म समय थोड़ा सा माँ के आँचल का दूध,
मृत्यु समय झाड़ दें थोड़ा कड़वाहट की धूल।
लालसाओं को पूरा करने को थोड़ा सा पैसा,
घर हो अपना,थोड़ा छोटा सही,ऐसा या वैसा।
रूठों को चाहिए बस केवल थोड़ा सा मनाना ,
बिगड़ो को चाहिए बस थोड़ा बचने को बहाना।
देश को अपने चाहिए बस थोड़ा एकता और प्यार,
सभी धर्मों को चाहिए थोड़ा अपनापन और सौहार्द।
( जयश्री वर्मा )
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