Menu
blogid : 5525 postid : 6

वक्त नहीं

KAVITAYEN
KAVITAYEN
  • 8 Posts
  • 1 Comment

वक्‍त नहीं

हर खुशी है, लोगों के दामन में  है,

पर एक हँसी के लिए वक्‍त नहीं है,,

दिन – रात  दौड़ती   दुनिया  को,

जिन्‍दगी के लिए ही वक्‍त  नहीं है,,

माँ की लोरियों का तो अहसास सभी को,

पर माँ को माँ, कहने  का वक्‍त नहीं हैं,,

सारे  रिश्‍तों नातों को  हम भूल चुके है,

सारे  नाम  जो  आज  मोबाईल  में है,

पर अपनों के लिए भी आज वक्‍त नहीं है,

आँखों   में  है,  नींद  बड़ी  है,

पर सोने का है भी वक्‍त नहीं है,,

दिल  गमों  से  भरा  हुआ  है,

पर रोने का  भी वक्‍त नहीं  है,,

पैसे की दौड़ में आज  ऐसे  दौड़ें  है,

पर थकने का भी आज वक्‍त नहीं है,,

एहसानों की  क्‍या  क़दर  करें  हम,

अपने सपनों के  लिए  वक्‍त नहीं है,,

तुम  ही   बताओं,  मेरे  प्यारों,

इस  जिन्‍दगी  का  क्‍या  होगा,

हर  पल-पल  मरने  वाले  को,

पर ज़ीने लिए ही वक्‍त  नहीं है,

जो  तिल-तिल  कर मरते  रहते  है,

जन्‍म व मरण  कसम  हम  खाते है,,

जिस   प्रभु   ने   हमें   बनाया  है,

उसके लिए दो समय का वक्‍त नहीं हैं,,

जयवीर सिंह यादव

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh