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maa…………

KAVITAYEN
KAVITAYEN
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जिसके चरणों में बसें, सारे तीरथ धाम,,
हम वंदना करते उसकी, भौति जिसका नाम,,
जन्‍में उसकी कोख से, ओम, जय, जगदीश,,
माँ की महिमा का भला, किसने किया बखान,,
दुर्जन बेटा हो भला, माँ देती है प्‍यार,, जो माँ को न पूजता, उसको है धिक्‍कार,,
अंशुमान सी उष्‍मता, मीरा जैसा प्‍यार,,
जल घर सी गम्‍भीरता, योगी सा व्‍यवहार,, सेवा कीजै मात की, सबसे उत्‍तम काम,,
जीवन में सुख पायेगे, जग में होगा नाम,, भूखे रहकर पालती, माँ अपनी संतान,,
माता ऐसी पूज्‍य है, जिसका का है बखान,, जो जैसा है पूजता वैसा ही, फल मिल जाए,
दोनों हाथों बाटती, माँगें ना प्रतिदान,, माँ जैसा कोई नहीं, न ही कोई अभिमान,
माँ के चरण पखारियों, माँ देगी वरदान,,
माँ ऐसी ममतामय, कर देती कल्‍याण,
जब-जब ठोकर खायेगा, माँ आयेगी याद,, माँ तेरा हित जानती, करते रहो फरियाद।।

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