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जब से एक नयी मोबाइल कंपनी मार्केट में आयी है. रोज़ कोई न कोई धमाका करती है. उसके ऑफर्स ने उसके प्रतिद्वंद्वी कंपनियों का दिन का चैन और रात की नींद उड़ा रखी है. ऐसा ही कुछ धमाकेदार आफर, सॉरी… बात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जी ने की है कि विपक्षी दलों को अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी. अमित शाह जी ने ऐलान कर दिया है कि अगले पचास साल तक भाजपा हुकूमत में रहेगी.
उनके इस ऐलान के बाद लोकतंत्रवादियों की बोलती बंद है. हालाँकि जनता को इस ऐलान से राहत मिली है. हर पांच साल पर सरकार चुनने की टेंशन ख़त्म हुई. चुनाव से जो काम रुक जाता है, वह नहीं रुकेगा. मतलब विकास तेज़ होगा. विपक्षी दलों को चाहिए कि ठेला-खोमचा लगाने का हुनर सीख लें. अगले 50 साल तक उनके पास कोई काम नहीं. महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ जाने के नीतीश कुमार के फैसले का राज भी खुल गया. नीतीश जी महान राजनीतिज्ञ हैं. उन्होंने आने वाले 50 साल के राजनीतिक परिदृश्य को समझ लिया था. न इधर के रहे न उधर के, ऐसी हालत हो, इससे पहले ही उन्होंने भाजपा का दामन थामकर समझदारी का परिचय दिया.
वैसे एक बात समझ में नहीं आई कि अमित शाह जी ने यह भविष्यवाणी किस आधार पर की है. कम से कम यह तो बता ही देते कि यह चमत्कार कैसे होगा. कहीं नोटबंदी की तरह देश में वोट बंदी तो नहीं होने वाली? कुछ भी हो सकता है भाई. पिछले कुछ समय से तो बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी कल्पना देश ने नहीं की थी. एक बात और जो अमित शाह जी ने अपने कार्यकर्ताओं से कही कि देश में कोई ऐसा स्थान नहीं बचना चाहिए, जहाँ भाजपा का ध्वज न हो. बात अच्छी भी है और इतिहास से प्रेरित भी.
किसी समय में ब्रिटेन का सूरज नहीं डूबता था और सिकंदर तो पूरी दुनिया ही फतह करने निकला था. ये ऐतिहासिक तथ्य सम्पूर्ण देश में झंडा गाड़ने का सपने देखने की प्रेरणा देते हैं. देश कांग्रेस मुक्त हो जायेगा. बाक़ी छोटी-मोटी पार्टियाँ आंधी में उड़ जाएंगी. एक देश और एक पार्टी की नई अवधारणा का जन्म होगा. दुनिया के बाकी देश भी हमसे प्रेरणा लेकर यही चीज़ अपने यहाँ लागू करेंगे. चुनाव का झंझट ख़त्म होगा. जनता का सरकार चुनने का सरदर्द ख़त्म होगा. चुनाव में खर्च होने वाला धन देश के विकास में (सुन्दर सपना) खर्च होगा, तो देश की सवा सौ करोड़ जनता अगले 50 साल चिंतामुक्त होकर, देश के विकास में योगदान दें.
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