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क्या तुम कुछ समझे

mera desh
mera desh
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तुम जाति में बांटे गए हो,
ताकि तुम्हें छोटा होने का,
एहसास कराया जा सके,
तुम भाषा में बांटे गए हो,
ताकि तुम्हें लच्छेदार बातों में,
उलझाया जा सके,
तुम धर्म में भी बांटे गए हो,
ताकि तुम्हें एक -दूसरे से,
लड़ाया जा सके,
तुम क्षेत्र में बांटे गए हो,
ताकि तुम्हारे बीच घृणा की,
दीवार खड़ी की जा सके,
और यह सब इसलिए,
ताकि तुम एकजुट होकर,
अन्याय के विरुद्ध ,
खड़े न हो को,
तुम अपने अधिकार को,
छीन न सको,
तुम समानता का,
राग न छेड़ सको,
अपने श्रम का उचित मूल्य,
और न भरपेट,
रोटी मांग सको,
और जब तुम अलग-अलग,
मारे -पीटे जाओ तो,
मदद के लिए,
चिल्ला भी न सको,
और यह सारा खेल इसलिए ,
ताकि इस बीच,
कोई तुम्हारी मूर्खता,
को माध्यम बनाकर,
तुम्हारे श्रम से उपजी,
सुविधाओं को बेरोक-टोक,
भोग सके,
तुम पर निरंकुश शासन ,
कर सके,
क्या तुम कुछ समझे,
या अब भी नहीं समझे ?

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