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भावनाओं को आहत करने वाली राजनीति

खास बात
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leaders and village votersदेश में इस समय चुनाव की सरगर्मियां चल रही है. राजनीति पार्टियों में गठ-जोड़, अवसरवाद, भीतरघात और बगावत की राजनीति देखी जा सकती है इन सब के बीच जनता को लुभाने का काम भी तेजी से चल रहा है. हर कोई अपनी तरफ से जनता की भावनाओं को आहत करने वाले मुद्दे को उठा रहा है. चुनाव में अकसर यह देखने में आता है कि पार्टियों के पास यदि कोई मुद्दा नहीं रहता तो जनता की भावनाओं पर घात लगाकर हमला करते हैं जिसमें कुछ हद तक वह भी कामयाब भी हो जाते हैं.


अब मायावती को लीजिए विकास को उनकी सरकार ने उत्तर प्रदेश से कोशों दूर कर दिया. जो पैसा जनता के विकास में करना चाहिए था वह पैसा उन्होंने अपनी और हाथियों की मुर्तियां बनाने में खर्च कर दिया. इसके बाद उनके पास भावनात्मक मुद्दा के अलावा और कोई मुद्द नहीं रहा जिसे लेकर वह जनता के पास जा सके. इस काम को चुनाव आयोग ने अपने मुर्तियों के ढ़कने के निर्णय से और आसान बना दिया. अब मायवती जनता को यह कहने में लगी है चुनाव आयोग सीबीआई के तर्ज पर काम करी है. उसका निर्णय केन्द्र सरकार से समर्थित दलित विरोधी है. उन्होंने अपनी माया से कुछ दलित लोगों को इस तरह से बांध रखा जिन्हे विकास नहीं मायावती का भक्त बनना पसंद है.


भावनात्मक प्रहार केवल मायावती की तरफ से नहीं बल्कि देश की बड़ी पार्टियां कांग्रेस और भाजपा भी इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेती है. लोगों के मर्म को छुने वाले मुद्दों को उठाना चुनाव में राजनिति पार्टियों का प्रमुख हथियार रहता है. यह अपनें भाषणों में आम जनता के बच्चों के दर्द बारे में इस तरह से बाते करती है जिसे देखकर ऐसा लगता है वह बच्चे इन्हीं के है. विपक्ष अपनी तरफ से वर्तमान सरकार की हर तरफ से निंदा करता है महंगाई और भ्रष्टाचार की खूब आलोचना करता है और इसे लोगों के दिल से जोड़ने की कोशिश करता है. लेकिन वह कभी यह दावा नहीं करता की जनता की मर्म को छूने वाली समस्याओं को दूर कर देगी.


पार्टियों की ढोंगी राजनीति में आम जनता इस तरह से पागल होते है जैसे की उनकी दुख-दर्द को यही दूर करेंगे. राजनीति पार्टियां आम जनता को बेवकूफ बनाती है और आम जनता बेवकूफ बनते है. अगर आप चाहते हैं कि आगे से आग से आप उनकी लुभावनी बातों में नहीं आएगे तो तय कर लीजिए कि आप स्वयं और राज्य के विकास पर ही वोट देंगे जाति और धर्म के आधार पर कभी नहीं. कई सालों से चली आ रही घिनौनी राजनीति व्यवस्था को समाप्त करना पड़ेगा. आपके वोट पर आपका और देश भविष्य टिका हुआ है इसलिए सोच समझकर वोट दे.


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