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महाशतक पर सचिन का अंतिम दांव

खास बात
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sachin tendulkarएक चुनावी अभियान की तरह सचिन तेंदुलकर का भी एक अभियान है जिसे हम महाशतक के अभियान के नाम से जानते है. इस अभियान पर अपनी विजय पताका लहराने के लिए सचिन पिछले एक साल से लगे हैं लेकिन कामयाब होते नहीं दिख रहे. अनेको टेस्ट और वनडे मैच खेलने के बाद भी सचिन अभी भी महाशतक से महरूम है. उनके समर्थकों के साथ-साथ उनकी प्यास हर सीरीज में जगती है लेकिन सीरीज के सीरीज निकल जाते हैं लेकिन उनकी प्यास बुझ नहीं पाती.


अब ऐसा सिलसिला बन चुका हर अगामी सीरिज के साथ उनके समर्थकों को उनसे महाशतक की उम्मीद लगी रहती है. सचिन ने भी तय कर लिया है कि आराम को बाय-बाय करते हुए टेस्ट हो या वनडे किसी भी सीरीज में वह शतक लगा कर रहेंगे. माना जा रहा है आगामी एशिया कप में सचिन ने स्वयं ही इच्छा जाहिर की है कि वह इस टूर्नामेंट में खेलेंगे ताकि महाशतक के सिरदर्द को इसी टूर्नामेंट में दूर किया जा सके. उपर से खबरे आ रही हैं कि मास्टर ब्लास्टर के लिए एशिया कप वनडे का अंतिम पड़ाव है. इसके बाद वह वनडे से अलविदा ले लेंगे.


ऐसे में सवाल यह उठता है क्या सचिन महाशतक के दाबाव में आकर इस तरह का फैसला ले रहे है. इस खिलाड़ी ने अपने जीवन में क्रिकेट के अलावा कुछ भी नहीं सोचा, दिनरात अपने आप को क्रिकेट में झोकता रहा, लगभग ढ़ाई दशक अपने आप को क्रिकेट के लिए समर्पित कर देना और अपने बेहतर प्रदर्शन की बदौलत भारत में क्रिकेट का प्रयाय बनना इसकी एक पहचान बन चुकी है. ऐसे यह महान और अद्धुतीय खिलाड़ी अपने कॅरियर के अंतिम पड़ाव पर महाशतक के डर से वनडे क्रिकेट छोड़ना का फैसला ले रहा है यह बात हजम नहीं हो रही.


आलोचकों का काम ही है कि सफलतम लोगों की आलोचना करके अपनी रोटी सेकना, अपने आप को किसी तरह से सुर्खियों में लाना उनका धर्म बन चुका है. लेकिन यहां पर सचिन को दूसरों के धर्म की चिंता न करके स्वयं के धर्म अर्थात क्रिकेट धर्म की चिंता करना चाहिए. अभी इस समय युवा टीम की बात की जा रही है एक दो खिलाड़ी को छोड़कर ऐसा कौन सा खिलाड़ी है जो वर्तमान सीरीज में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. यह खिलाड़ी अपने बूरे प्रदर्शन दौर से गुजर रहे हैं, इसका मतलब इन्हे भी सचिन के साथ क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए.


सचिन क्रिकेट के लिए बने हैं. उन्हें कुछ साल और क्रिकेट को अपनी सेवा देनी चाहिए. क्रिकेट को छोड़ने का फैसला किसी के दबाव में नहीं होनी चाहिए. सबके जीवन में बुरे प्रदर्शन का दौर जरूर आता और एक बार नहीं कई बार आता है तो इसका मतलब यह नहीं कि हार कर जीना ही छोड़ दिया जाए. सचिन के लिए क्रिकेट उनकी जिन्दगी है इसलिए इस पर फैसला लेने से पहले एक बार जरूर विचार कर लेना चाहिए.


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