- 18 Posts
- 25 Comments
ललित कुमार, जम्मू हर मध्यवर्गीय परिवार का सपना होता है कि एक दिन उनके पास भी अपनी कार हो, लेकिन जम्मू कश्मीर के अखनूर निवासी कमल कुमार शर्मा के लिए यह उनकी जिंदगी का सबसे डरावना सपना बन गया है। कार खरीदने के बाद कानून के फेर में फंसे शर्मा को आज रह-रहकर अदालतें और काला कोट पहने वकील ही नजर आते हैं। अखनूर निवासी कमल कुमार शर्मा ने तीन साल पहले अपने एक परिचित से 20 हजार रुपये में एक पुरानी मारुति कार खरीदी। कागजात तैयार कराने और आरटीओ में वाहन का पंजीकरण कराने के बाद उन्हें कार 22 हजार रुपये में पड़ी। अभी गाड़ी का शौक पूरा भी नहीं हुआ था कि उनके क्षेत्र में ड्राइविंग इंस्टीट्यूट चलाने वाले एक व्यक्ति ने थाने में उनके खिलाफ गाड़ी के फर्जी कागजात बनवाने की रिपोर्ट लिखा दी। बकौल कमल शर्मा, ड्राइविंग इंस्टीट्यूट के संचालक ने इस लिए उनके खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी क्योंकि उसे लगा कि मैं इस कार के जरिए खुद का ड्राइविंग इंस्टीट्यूट खोलने जा रहा हूं। वाहन के फर्जी कागजात बनाए जाने की शिकायत के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 का केस दर्ज कर लिया और उसी दिन से उनकी जिंदगी का सबसे खराब सफर शुरू हो गया। अब इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जो गाड़ी उन्होंने 22 हजार रुपये में खरीदी आज उसे अपना साबित करने के लिए वह 30 हजार रुपये खर्च कर चुके हैं। इससे भी दुखदायी बात यह है कि वह गाड़ी चला भी नहीं सकते क्योंकि गाड़ी के दस्तावेज कोर्ट में जमा हैं। कमल कहते हैं कि कार तो घर पर खड़े-खड़े ही कबाड़ हो गई। वह उसे बेच भी नहीं सकते। तारीख पर पहुंचे कमल ने कहा, पिछले तीन साल से वह कार को अपना साबित करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पहले केस अखनूर में था, लेकिन वहां उसकी एक नहीं चली तो उसने पांच हजार रुपये खर्च करके मुकदमे को जम्मू की अदालत में स्थानांतरित करवा लिया। अब यहां भी पिछले 1.5 साल से वकीलों के चक्कर काट रहे हैं।
आगे पढ़ने के लिए यहॉ क्लिक करें
जन जागरण वेबसाइट पर जाने के लिए यहॉ क्लिक करें
Pledge your support to Jan Jagran for Justice
Read Comments