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एक शाम…

उड़ान – एक परवाज
उड़ान – एक परवाज
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ये शाम यूँ तो कुछ अलग नहीं है.. लेकिन फिर भी कुछ अलग है..
आसमान साफ़ है..
लेकिन थोड़े से बादल भी हैं.. सूर्य की लालिमा का आलिंगन किये हुए हैं.. मंद मंद बहती समीर के साथ अठखेलियाँ करते हुए इधर उधर सम्पूर्ण आकाश में विचर रहे हैं.. साथ में पंछी भी .. अपने अपने घोंसलों की ओर बड़े चले जा रहे हैं.. जैसे की मनुष्य शाम को काम काज निबटाने के बाद अपने घर की तरफ भागते हैं.. लेकिन ये पंछी हम से थोड़े अलग हैं.. इनको एक दुसरे को पीछे छोड़ने की आवश्यकता नही है या यूँ कहे की दौड़ लगाने की जरुरत नही है.. बल्कि ये एक साथ एक दुसरे के साथ मस्ती करते हुए गीत गाते हुए- कलरव करते हुए.. अपने घर यानि की घोंसलों की तरफ बड़े चले जा रहे हैं.. अपनी मंजिल की तरफ बढ रहे हैं…|
ये सब देखना बड़ा ही आनंदायक है.. आँखों को सुकून देने वाला है.. और अब तो सूर्य देव भी पूरी तरह से आस्ताचल हो गये हैं, चंद्रमा ओर उनके साथी – तारों ने.. ने अंगडाइयां लेना शुरू कर दिया है.. और फिर से एक एक नयी खुशनुमा महफ़िल सजने लगी है.. |

खैर अब वक़्त हो चला की इस मस्तानी शाम का थोड़ा और मजा लेने के लिए कुछ चाय वागेरहा बनाया जाये..
वैसे आप भी चाय का लुत्फ़ उठा सकते है.. बस रसोई घर में जा कर थोड़ी सी मशक्कत करनी होगी 🙂

अच्छा अब आज्ञा दीजिये..
धन्यवाद!

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