- 13 Posts
- 2 Comments
******किसी को होश भी है******
मर रहे हैं लोग बेमौत ,किसी को होश भी है।
खो रहे हैं रिश्ते हररोज़ ,किसी को होश भी है।।
कल तक रहते थे सब,एक साथ मिलकर ज़माने में।
आज भीड़ में भी तन्हाई है,किसी को होश भी है।।
कल तक पूरा शहर ,साथ सुख-दुःख बांटता था।
आज पड़ोसी का दरवाजा भी बंद है,किसी को होश भी है।।
कल तक हर आदमी,मदद को तैयार रहता था।
आज भाई ही भाई को मार रहा,किसी को होश भी है।।
मेरे चेहरे पे मुस्कान ,हर दम रहती है दुनियांवालों।
इस मुस्कान की सच्चाई क्या है,किसी को होश भी है।।
कल तक माँ-बाप ही,पूरी दुनियां थे हमारी।
आज वो कितना तड़पते है,किसी को होश भी है।।
किसी की मजबूरी आज,बन गई धंधे की राह।
ये धंधा कहाँ ले जा रहा,किसी को होश भी है।।
सब कहते हैं कि, दुनियाँ बहुत बदल गई है।
हम खुद कितना बदल गए,किसी को होश भी है।।
रोक लो इंसान को, बेमौत मरने से सबलोग।
किसी को दर्द कितना है,किसी को होश भी है।।
प्यार कोई खिलौना नहीं,दिलों से मत खेलो।
झूठा प्यार कितना भयावह है,किसी को होश भी है।।
कोई मरना नहीं चाहता ,उलझी हुई ज़िन्दगी में।
लेकिन उलझन भी बेशुमार है,किसी को होश भी है।।
अपना लो सबको मुहब्बत से,देदो सबको ज़िन्दगी।
वरना कल कौन पूँछेगा हमें,किसी को होश भी है।।
वरना कल कौन पूँछेगा हमें,किसी को होश भी है…
Read Comments