फुर्सत के दिन/fursat ke din
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कल रात की बात है करीब 8 :30 पर मै परिवार समेत अपनी कार से कही से वापस आ रहा था तो कसबे के मेन चौराहे से मात्र 300m की दूरी पर एक प्रत्याशी व् कुछ समर्थक एक लग्जरी गाड़ी सड़क के बीचो बीचलिए खड़े थे जिसकी हेड लाईट फुल बीम पर जल रही थी और ड्राइवर साइड में गाडी के बाहर भी 5 – 6 लोग खड़े थे जोकि तेज लाईट के कारण नहीं दिख रहे थे मैंने सतर्कता से अंदाजा लगाते हुए जब क्रासिग करनी चाही तो बमुश्किल उन खड़े लोगो को बचा पाया ,जब गिला किया गया तो आखे दिखने की भी कोशिश की गई पर चुनाव का माहौल होने व् कुछ लोगो के परिचित होने (ग्रामप्रधान पुत्र ) पर “नेताजी” को परिचय मिलने पर आखे दिखने का क्रम “बड़े भाई आशीर्वाद दीजिये गा व् “बहन जी” का ख्याल रखिये गा पर समाप्त हुआ
” तो भाइयो मुझे बहन जी का तो ख़ास ख्याल रखना ही चाहिए न “
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