जिद्दी जीतू सोसल एक्टीविस्ट
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सूरज को आगोश में लेना, चाँद के बस की बात नहीं,
हसरत है उसे पाने की, पर है इतनी औकात नहीं,
वो छुप कर मौका देगा, जब चाँद जवां रोशन होगा,
उसे इन्तजार करना होगा, होती है जब तक रात नहीं।
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