Menu
blogid : 3428 postid : 939590

जमशेदपुर की चर्चा

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

लगभग २० लाख आबादी वाला ६२५ वर्ग किलोमीटर में फैला जमशेदपुर जिसका दूसरा नाम टाटानगर भी है, झाड़खंड राज्य का एक शहर है। यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है। जमशेदपुर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नौशरवान जी टाटा ने की है १९०७ में (टिस्को) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी। इससे पहले यह साक्ची नामक एक आदिवासी गाँव हुआ करता था। यहाँ की मिट्टी काली होने के कारण यहाँ का पहला रेलवे स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना जिसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया। खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और खरकाई तथा सुवर्णरेखा नदी के आसानी से उपलब्ध पानी, तथा कोलकाता से नजदीकी के कारण यहाँ आज के आधुनिक शहर का पहला बीज बोया गया।
जमशेदपुर आज भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है। टाटा घराने की कई कंपनियों के उत्पादन इकाई जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टिनप्लेट, टिमकेन, ट्यूब डिवीजन, टी आर एफ, टाटा पॉवर, टी जी एस, उषा एलॉय, लाफार्ज सीमेंट इत्यादि यहाँ कार्यरत है। इसके अलावा हजारों की संख्या में छोटे-छोटे कल कारखाने स्थापित हैं.
जमशेदपुर अभी चर्चा में है इसीलिए मैं कुछ बातें इस आलेख में रखना चाहता हूँ. पहली बात तो यह है कि यह शहर औद्योगिक कारखानों की बहुलता वाला है और यहाँ समय की कीमत है, इसीलिये यहाँ हर काम समयानुसार होता है. अमूमन यहाँ शुबह ५ बजे हो जाती है और लोग बिस्तर से उठ अपनी-अपनी ड्यूटी की तैयारी में लग जाते हैं. शुबह की पाली यहाँ ६ बजे शुरू हो जाती है. किसी भी मौसम में यहाँ कोई बदलाव नहीं होता. गृहणियां उठकर अपने पति एवं बच्चों के लिए टिफिन बनाने में लग जाती हैं. बच्चों का स्कूल भी शुबह सात बजे से आठ बजे के बीच खुल जाता है और वहां भी समय से पहुँचना जरूरी होता है. इन्हीं स्कूलों में पढ़कर बच्चे उच्च शिक्षा में भी अपनी श्रेष्ठता बनाये रखते हैं. डॉक्टर, इंजिनियर का विकल्प तो अधिकांश बच्चे चुनते ही हैं पर अब प्रशासनिक परीक्षाओं में भी यहाँ के बच्चे अव्वल आने लगे हैं.
हाल ही में UPSC प्रतियोगिता में अपना परचम लहरा चुकी जमशेदपुर की दो और बेटियों की चर्चा करना चाहूँगा उनमे दोनो ‘नेहा’ जमशेदपुर की है. पहली नेहा सिंह जिसने २२ वां रैंक हासिल किया हैं, इनके पिता ग्रामीण कार्य विभाग घाटशिला में सहायक अभियंता है. यह झारखण्ड टॉपर हैं. इन्होने प्लस टू की पढाई २००६ में संत माइकल स्कूल पटना से की हैं, उसके बाद २०११ में बिट्स पिलानी से केमिकल स्ट्रीम में बी टेक किया. यह भी दिल से गरीबों की सेवा करना चाहती हैं.
जमशेदपुर की दूसरी बेटी हैं – नेहा कुमारी, इन्होने २००७ में विद्या भारती चिन्मया स्कूल से प्लस टू किया, और BIT मेसरा, रांची से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक किया और २०१२ में टाटा स्टील के इलेक्ट्रिकल टी एंड डी विभाग में मैनेजर के रूप में योगदान किया. २०१४ में टाटा स्टील की नौकरी छोड़कर IAS की तैयारी में लग गयी और २०१५ में पहली बार में ही २६ वें रैंक पाकर खुश है. इनके पिता सुनील कुमार दुबे साधारण परिवार से आते हैं और टाटा मोटर्स के कर्मचारी हैं. यह टाटा स्टील के सेवा काल को अपने जीवन का अहम पड़ाव मानती हैं. उनकी प्रेरणा स्रोत उनके ही विभाग के सीनियर राजीव रंजन सिंह, IPS हैं, जमशेदपुर की पूर्व आयुक्त निधि खरे, हिमानी पाण्डेय, नितिन मदन कुलकर्णी भी इनके आदर्श हैं. उनको टाटा स्टील का एथिक्स बहुत ही प्रिय है और आगे भी एथिक्स की राह पर चलने की हर सम्भव प्रयास करेंगी. ऐसा उनका मानना है.
गूगल के साइंस फेयर में जमशेदपुर के ही कारमेल जूनियर कॉलेज के ११ वीं के छात्र प्रशांत रंगनाथन का चयन हुआ है. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में देश विदेश के १२ हजार छात्रों ने अपना प्रोजेक्ट जमा किया था. पूर्वी भारत से एक मात्र चयनित उम्मीदवार प्रशांत है. प्रशांत का प्रोजेक्ट था आयरन ऑक्साइड के सूक्ष्म कण कैसे फसल को बढ़ावा देता है. उसने अपना यह प्रयोग गेहूं और बार्ली के पौधों पर किया है.
एक दुखद, पर गर्व का विषय है कि किशन कुमार दुबे जो कि पाकिस्तानी सीमा पर BSF के जवान के रूप में तैनात थे ०९ जुलाई को पाकिस्तानी हमलों में शहीद हुए हैं वे जमशेदपुर के ही हैं. शहीद किशन कुमार दुबे के पिता पूजा पाठ कराने का ही काम करते हैं. झाड़खंड के मुख्य मंत्री श्री रघुबर दास ने शहीद के परिजनों के साथ सहानुभूति जताई है.
साफ़ सुथरे शहरों के सर्वे में जारी आंकड़ों में चंडीगढ़ अगर पहले नम्बर पर है तो जमशेदपुर को भी सातवां नम्बर प्राप्त हुआ है. यह सफाई सुथराई और नागरिक सुविधाओं को मुहैया करने में टाटा की ही अनुषंगी इकाई जुस्को महत्वपूर्ण योगदान है. यह है टाटा की सुविधा एक फोन पर सारी शिकायतें और समयबद्ध उसका निवारण!
रघुबर दास टाटा स्टील, जमशेदपुर के कर्मचारी थे जो आज झाड़खंड के मुख्य मंत्री हैं. पहले भी वे टाटा नगर की समस्याएं हल करते रहे हैं अब तो पूरा झाड़खंड को ठीक करने में लगे हैं. रघुबर दास का स्थायी आवास टाटा स्टील का क्वार्टर ही है जहाँ वे अक्सर शनिवार और रविवार को लोगों की समस्याएं सुनते हैं. टाटा स्टील के पूर्व अधिकारी अरविन्द केजरीवाल जो आज दिल्ली के मुख्य मंत्री हैं और अपने अलग अंदाज के लिए लोकप्रिय भी हैं.
भारतीय क्रिकेट टीम के निवर्तमान कप्तान धोनी की कर्म भूमि जमशेदपुर रही है. वे यहाँ के कीनन स्टेडियम में क्रिकेट की प्रैक्टिस करते थे. वर्तमान क्रिकेटर सौरभ तिवारी भी जमशेदपुर से ही हैं. उन्हें भी टाटा स्टील ने अपने खेल विभाग में जगह दे दी है.

विश्व प्रसिद्द महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी जो विभिन्न स्पर्धाओं में रजत और स्वर्ण पदक जीतकर झाड़खंड और भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं जमशेदपुर से ही हैं. इन्हें भी टाटा स्टील ने खेल विभाग में प्रबंधक के रूप में रक्खा है और हर सुविधा प्रदान करती है.
बछेंद्री पाल जो, माउंट एवेरेस्ट पर भारतीय झंडा लहड़ाने वाली पहली भारतीय महिला हैं, यही टाटा एडवेंचर फाउंडेशन की प्रमुख हैं. उनके नेतृत्व में ही जमशेदपुर निवासी प्रेमलता अग्रवाल, जो कई बच्चों की माँ हैं, ने भी एवेरेस्ट की चढ़ाई की और अन्य महिलाओं के प्रेरणास्रोत बनी हैं. बछेंद्री पाल हर साल एक नई टीम लेकर हिमालय की दूसरी श्रेणियों की चढ़ाई करती हैं. उनके हौसले को भी सलाम करना चाहिए.

यहाँ की प्रशासनिक पदाधिकारियों में निधि खरे, वंदना दाडेल, हिमानी पाण्डेय, नितिन मदन कुलकर्णी, डॉ. अजय कुमार(पूर्व सांसद और पूर्व आईपीएस), वर्तमान उपायुक्त अमिताभ कौशल आदि का नाम आदर के साथ लिया जाता है. इन लोगों ने जमशेदपुर को बेहतर बनाने में हरसंभव प्रयास किया है.
इसके अलावा प्रियंका चोपड़ा, तनुश्री दत्ता, माधवन आदि जमशेदपुर के कलाकार बॉलीवुड में भी अपना झन्डा गाड़ चुकी हैं. फिल्म निर्माता प्रकाश झा को भी जमशेदपुर से लगाव है.
मॉनसून की धमक यहाँ भी अच्छी होती है, पर पहाड़ी क्षेत्र और जुस्को का बेहतर प्रबंधन के कारण कही जल जमाव की समस्या नहीं होती. यातायात बाधित नहीं होता, जैसा समाचार बड़े शहरों, दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ में भी टी वी चैनलों के माध्यम से देखने को मिलती है. जब सुवर्णरेखा और खरकाई की नदियों में उफान होता है, निचले इलाके जो नदियों के पाट पर बसे हुए हैं में जल-जमाव होता है पर एक दो दिन में ये जलमुक्त भी हो जाते हैं. ऐसे बेहतर प्रबंध युक्त शहर पहले से ही स्मार्ट सिटी जैसा है. बिजली कट और पानी के सप्लाई बाधित होने की पूर्व सूचना भी जुस्को द्वारा दी जाती है और जल्द से जल्द उन्हें दुरुस्त भी किया जाता है. बस इतना ही, जमशेदपुर के बेहतर प्रबंधन के लिए टाटा समूह को विशेष बधाई! जय टाटा! जय जमशेदपुर!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh