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पहले आशाराम, फिर रामपाल, उसके बाद रामवृक्ष और राम रहीम ये सभी धर्मगुरु से अपना साम्राज्य विकसित कर चुके अब अपराधी करार हो चुके हैं. इनमे रामवृक्ष तो मुठभेड़ में मारा गया बाकी अपराधी सजा भुगत रहे हैं. फिलहाल चर्चा में थे गुरमीत सिंह राम रहीम इंशा. निस्संदेह यह प्रतिभासंपन्न व्यक्ति है और कई प्रतिभाओं में यह ख्याति भी बटोर चुका है. पर कहते हैं न- प्रभुता पाई काह मद नाही – और अंतत: यही मद ने इस राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.
इन सबके बाद प्रकट हुए दिल्ली का बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित… वे आश्रम में लड़कियों को धार्मिक शिक्षा देने के बहाने न केवल एक बड़ा ‘सुनियोजित’ अनैतिक रैकेट चला रहा था बल्कि आश्रम में रखकर लड़कियों को नशे का आदी बनाकर उन्हें बहुत से ‘रसूखदार’ लोगों के हरम में भेजता रहा है। पुलिस और अदालत तक पहुंची जानकारी में हैरतअंगेज खुलासे हुए हैं।
बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम से छनकर निकल रहीं चौंकाने वाली जानकारियों पर हाईकोर्ट भी हैरान है। शुक्रवार (22.12. 2017) को उसने टिप्पणी की और कहा कि बाबा का ऐसा आश्रम बगैर फंड और नेताओं के संरक्षण के नहीं चल सकता। इतने सालों से यहां ऐसा हो रहा था और इस संबंध दिल्ली पुलिस को एनजीओ सहित परिजन शिकायत दे रहे थे, उसके बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इनसब कारणों को तलाशें जांच एजेंसी। कोर्ट ने सख्त लहजों में कहा कि आश्रम के संबंध में जितनी भी बातें सामने आई हैं उससे ये साफ हो गया कि आश्रम की आड़ में देह व्यापार और काले कारनामे ही होते थे।
हाईकोर्ट ने राजधानी में मौजूद 8 आश्रम की लिस्ट मांगी है। दिल्ली के रोहिणी में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से चल रहे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई हैरान करने वाली बातें सामने आ रही हैं। दीक्षित की काली करतूतों का अड्डा सिर्फ रोहिणी के विजय विहार में ही नहीं, दिल्ली के पालम इलाके में भी है। ये खुलासा कोर्ट में हुआ। जब वहां पालम आश्रम से एक युवती को पेश किया गया। इसके साथ ही यह आशंका है कि पालम में भी आश्रम के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है।
हाईकोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में है कि बाबा 12 से 16 साल की लड़कियों को ज्यादा पंसद करता था और उन्हें अपने साथ रखता था। इनमें से 4 लड़कियों के बयान कोर्ट में लगे हैं जिसमें बताया कि बाबा उनके परिजनों को आध्यात्मिक ज्ञान का हवाला देता था और उनके शरीर के साथ खेलता था। जिन लड़कियों के बयान दर्ज है उनमें 12 साल की और एक 16 साल की है, जबकि 22 लड़कियों के हलफनामें और भी दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे उन्हें पेश कर सकते हैं। ऐसे में साफ है कि ये बाबा अक्सर नाबिलग बच्चियों को अपने ईदगिर्द रखता था।
शुक्रवार को 12 डाक्टरों की टीम रोहिणी स्थित आश्रम में पहुंची, जब वे सेंकड फ्लोर पर पहुंचे तो मौजूद 22 लड़कियों की हालत को देख कर दंग रह गए। इस डॉक्टरों की टीम में एनजीओ की दो सदस्या महिला भी शामिल थी। उनके मुताबिक इन लड़कियों के हाथों में जंजीर के निशान पाए गए है और इनकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं है। इनमें से 5 लड़कियों को एक निजी अस्पताल में भेजा गया है इसके अलावा 6 लड़कियों को अंबेडकर अस्पताल में लाया गया है। प्रारंभिक जांच के मुताबिक इन लड़कियों को काफी समय से नशा दिया जा रहा था जिसके कारण ये अभी होश में नहीं है। इन लड़कियों की जांच के लिए इहबास से भी एक टीम को भेजा गया है। बताया जाता है कि बाबा और उसके कुछ गुर्गे इन लड़कियों से गंदे काम करते थे और कराते थे। जिन लड़कियों को जंजीरों में बांधा गया था वे पुरी तरह से मरणासन्नवस्था में है।
हमलोग इतने अन्धविश्वासी क्यों हो गए हैं कि इस तरह के बाबाओं के पास अपनी नाबालिग लड़कियां भेजने लगे हैं? आखिर क्या चाहते हैं हमलोग? अपना सारा काम छोड़कर इन तथाकथित बाबाओं के पैर पकड़ेंगे तो हमारा कल्याण हो जायेगा? जब “कर्म प्रधान विश्व करी राखा” है और “कर्मण्ये वा अधिकारास्ते” का उपदेश गीता में भी दिया गया है तो फिर क्यों नहीं समझते हैं हम सब लोग. इन तथाकथित बाबाओं को अपना अड्डा बनने और विकसित करने में हम सभी लोगों का या कहें कि अधिकांश लोगों का योगदान होता ही है चाहे जिस कारण से हो. क्षणिक लाभ या कुछ धनार्जन ही मूल उद्देश्य रहता है.
सरकारी प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं को चाहिए की धर्म और आध्यात्म के नाम पर जितने भी आश्रम आदि चलाये जा रहे हैं, सबकी एक बार निष्पक्ष जांच करायी जानी चाहिए और इनलोगों को भी सरकारी लाइसेंस मुहैया कराई जानी चाहिए. बीच बीच में अचानक छापामारी कर जांचा परखा जाना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे. मीडिया के लोगों को भी चाहिए कि ऐसे लोगों का पर्दाफाश समय रहते करें ताकि काफी लोगों का, खासकर लड़कियों और महिलाओं का जीवन ख़राब होने से बच जाए. नहीं तो हम सभी जानते हैं – “का बर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि फिर का पछताने.” इस तरह के छद्म आश्रमों से हम सबके आस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा और धर्म नाम की चीज से विश्वास उठ जायेगा. उम्मीद है, हमारी वर्तमान धर्म सम्मत सरकार इस प्रकार की संस्थाओं पर समय रहते अंकुश लगाएगी.
जय श्री राम! – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर
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