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भोला (भोली-भाली जनता का प्रतिनिधि) दौड़ता हुआ आया और गजोधर भैया से वार्तालाप करने लगा!
भोला – भैया जी, अब रास्ता आसान हो गया!
गजोधर – क्या कहा? हमारे गाँव की सड़कें बन गयी?
भोला- भैया जी, आपको सड़क की पड़ी है, हम तो कुछ दूर की बात सोंच कर आये हैं.
गजोधर – अब क्या हेलिकोप्टर से जायेंगे? यही सोंच कर आया है!
भोला – नहीं भैया जी. अब अपने गाँव की ही नहीं पूरे देश की सड़कें हम खुद बनायेंगे.
गजोधर- क्या बकता है रे भोला? क्या तू कोई बड़ा ठेकेदार हो गया है?
भोला – क्या भैया जी हमलोगों की सोंच इससे आगे जा ही नहीं सकती, यही कहना चाहते न आप?
गजोधर- अरे मैं तो मजाक कर रहा था. तुम्हारे पास भला इतना पैसा कहाँ से आयेगा जो सड़कें बनाने का ‘ठीका’ लेने लगेगा?
भोला – भैया जी, अब मजाक की बात छोड़िये, हम जो बोल रहे हैं, उसे ध्यान से सुनिए.
गजोधर – बोलो मैं ध्यान से ही सुन रहा हूँ.
भोला – सुनिए, मोदी जी के लाख मना करने पर भी अडवाणी जी नहीं माने, अब यात्रा पर निकलनेवाले हैं उन्होंने अपने पक्ष में गडकरी, अरुण जेटली, और सुषमा स्वराज को कर लिया है. अब भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए काम्पटीसन हो गया है. अब जनता उधेरबुन में रहेगी. कांग्रेस का पत्ता इस बार साफ होनेवाला है. उधर अन्ना जी और बाबा रामदेव में खीच-तान चल रही है. श्री श्री और आशाराम अपनी-अपनी मूंछों पर ताव दे रहे हैं, यही मौका है हमें भी मैदान में कूद पड़ना चाहिए और जनता जो भोली भाली है उसे कुछ नया सब्जबाग दिखलाकर अपने पक्ष में कर लेना चाहिए. निशा(मित्तल) मैडम के अनुसार जब दो बिल्लियाँ आपस में लडती हैं तो बन्दर फायदा उठाता है.
गजोधर- तुम भागेगा कि हमसे मार खायेगा!
भोला – मारिएगा बाद में पहले पूरा बात सुन लीजिये!
गजोधर – बोलो टी.वी. में भी एक ही समाचार को बार बार दिखा रहा है, अब तुम ही कुछ टाइम पास करो.
भोला – सुनिए, हमलोग भी यात्रा पर निकलेंगे. एक समय था जब सब लोग उपवास कर रहे थे अब यात्राओं का दौर चला है, वैसे भी अब मौसम अच्छा हो गया है. सायकिल चलाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी.
गजोधर – क्या कह रहा है तू? सायकिल से तू यात्रा करेगा?
भोला – हाँ भैया जी. सुनिए सायकिल से यात्रा करने के अनेक फायदे हैं.– वैसे भी हमलोग गरीब आदमी ‘रथ’ कहाँ से लायेंगे.
सायकिल आम गरीब आदमी की सवारी है. पेट्रोल डिजेल चाहे जितना महंगा हो जाये कोई फर्क नहीं पड़ता.
दूसरा यह सायकिल हर गरीब आदमी के घर से होकर गुजरेगा तब और भी गरीब तबके के लोग हमारी यात्रा में शामिल होते जायेंगे.
तीसरा सायकिल के लिए पक्की सड़क की आवश्यकता नहीं है. यह उबड़ खाबड़ रास्तों पर आराम से चलती है. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाने के लिए हम सायकिल को कंधे पर उठाकर चल सकते हैं. हाँ अगर मीडिया वाले हमारे साथ हर जगह नहीं गए तो हम खुद से फोटो खींचकर उन्हें दे देंगे, ताकि वे उसे रंग रोगन लगाकर लोगों को दिखा सकें. गरीब जनता ही असली वोटर है. आपने तो देखा ही है कि हमेशा गाँव की वोटिंग का प्रतिशत शहर की वोटिंग की प्रतिशत से ज्यादा रहता है.
एक चीज आपके जिम्मे होगा.
गजोधर- क्या?
भोला – हमें अपनी यात्रा का ‘थीम सोंग’ ‘लौंच’ करना होगा उसके लिए आपकी मदद की जरूरत होगी.
गजोधर – मैं भला उसमें क्या मदद कर सकता हूँ?
भोला- देखिये आजकल मनोज भाई पर देशभक्ति का भूत सवार है. वो देश भक्ति का अच्छा सा गीत लिख देंगे. उसे नए स्टाइल (रोचक स्टाइल) में गाना मेरा काम रहेगा.
गजोधर – तुम संगीतकार कब से हो गया?
भोला – भैया जी, अरे आप हतोत्साहित मत करिए. आजकल बहुत सारे आइटम सोंग हिट हो रहे हैं उसी में से किसी धुन पर आधारित हमारा थीम सोंग होगा. देखिये वन्दे मातरम जब तक अपने ओरिजिनल फॉर्म में था कितने लोगों को पता था, जब ए. आर. रहमान ने उसे नए धुन में गवाया तो सबकी जबान पर आ गया. उसी से प्रेरित होकर हमारे कलमाडी साहब ने CWG का थीम सोंग गवाया जो कि सोंग के साथ CWG को भी हिट कर गया और कलमाडी को भी.—– अन्ना जी और और बाबा रामदेव के अनशन में गाया गया देश भक्ति का गीत उतना पोपुलर नहीं हुआ जितना अडवाणी की यात्रा के लिए लौंच kiya गया रोचक स्टाइल में गाना. इस तरह के स्टाइल से हमारे नवयुवक लोग आकर्षित होते हैं. अब हनुमान चालीसा भी अमिताभ बच्चन के स्टाइल में गाने वालों की लाइन लग जायेगी. अब हनुमान मंदिरों के सभी पुराने सी. डी. को बदलने होंगे नवयुवकों को हनुमान मंदिर तक लाने के लिए.
हमारा भी थीम सोंग कुछ इसी प्रकार का होगा —- जैसे — “भोला बदनाम हुआ बजरंगी तेरे लिए, ये गदा आम हुआ बजरंगी तेरे लिए”.
(यह लाइन गाते गाते भोला अपने हाथ में लिए हुए छाते को कंधे पर गदा स्टाइल में रख लिया.) हाँ हमें एक लकड़ी का गदा भी बनवाना होगा जिसे हनुमान सिन्दूर से रंग लेंगे. हमारी पार्टी का नाम होगा ‘युवा बजरंग पार्टी’. हमारी सायकिलों के आगे हनुमान जी का फोटो होगा जिसमे हनुमान जी छाती चीर कर राम सीता का दर्शन करते रहेंगे. अब देखिये, इसमें हनुमान भक्त और राम भक्त दोनों ही आकर्षित होंगे. साथ ही यह भी साबित होगा कि हमारे दिल में क्या है?
कुछ नारा भी बनाना होगा — जैसे, हर खेत को पानी होगा, हर हाथ को काम.
फसल खूब उपजायेंगे, नहीं बढ़ेंगे दाम.
यह धरती है मजदूरों की, शोषित गरीब मजबूरों की.
खलिहान खेत बचायेंगे, घर में उद्योग चलाएंगे.
अब नहीं चाहिए पेट्रोलियम, कर लो सफ़ेद सब काला धन.
और एक बात, हमें एक कोर कमिटी बनानी होंगी. इसके संयोयक गुरुदेव और शाही जी होंगे, वे लोग अगर चाहें तो भ्रमर जी को और चातक जी, अशोक जी, संतोष जी, आदि जो इच्छुक हों, को कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में रख सकते हैं; युवाओं के प्रतिनिधि के रूप में अबोध जी को रख लेते है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हमारे मुनीश बाबु बेहतर होंगे. महिला प्रतिनिधि में निशा दीदी और सुमन जी की सलाह पर साधना जी, और वे लोग जिन्हें चाहे रख लेंगे.
अब समझ लीजिये कि हमारी यात्रा हिट होकर रहेगी और अगले चुनाव में हमारी पार्टी जो अभी तक दाग रहित है सत्ता में होगी. प्रधान मंत्री का पद के बारे में अभी गोपनीय रखते हैं जब बहुमत में आएंगे तो संसदीय दल के नेता का चुनाव की औपचारिकता निभा लेंगे.
हाँ यात्रा कहाँ से शुरू करना है इसके लिए आम बैठक में तय कर लेंगे. (रालेगांव सिध्धि या सिताब दियारा.)
सभी ब्लोगर्स से आग्रह है कि वे अपनी राय से अवगत कराएँगे, ताकि जल्द ही हम किसी नतीजे पर पहुँच सकें नहीं तो फिर देर हो जायेगी. हमें रथ का मुकाबला सायकिल से करनी है.
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