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जितना ज्यादा दलदल उतना ज्यादा कमल!

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में ‘किसान कल्याण रैली’ को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार के लिये किसान और गांव हमारी प्राथमिकता है. यही कारण है कि देश के करीब  करोड़ गन्ना किसानों के हित में फैसले लिये गये हैं. उन्होंने कहा कि चीनी के आयात पर 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई.

पीएम मोदी ने कहा कि जितना ज्यादा ‘दल-दल’ होता है, उतना ज्यादा ‘कमल’ खिलता है. कांग्रेस संसद में कितने भी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती रहे लेकिन मोदी जन-जन के दिलों में बसा है. हमारी सरकार न्यू इंडिया बनाने में जुटी हुई है, कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. कोई भी क्षेत्र हो दोगुनी गति से काम हो रहा है. शाहजहांपुर में भी इन योजनाओं से लाभ पहुंच रहा है. देश के 49 करोड़ परिवार को रौशन करने की हमारी योजना है. मेरा गुनाह यही है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं. परिवारवाद के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ा हूं. जब दल के साथ दल हो तो दलदल हो जाता है और जितना ज्यादा दलदल होता है उतना ही कमल खिलता है. वो अपने भविष्य का आकलन के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाए, लेकिन उनका आकलन गलत था. क्योंकि देश बदल चुका है. यहां बेटियां अब जाग चुकी हैं. अब उनका फॉर्मूला कभी काम नहीं आने वाला है. साइकिल हो या हाथी किसी को भी अब बना साथी, लेकिन आपके(और मेरे) स्वांग को देश जान चुका है. कल देश की जनता ने देखा कि कुछ लोगों को प्रधानमंत्री की कुर्सी के अलावा कुछ नहीं दिखता है, उन्हें ना देश दिखता है ना देश का गरीब दिखता है. कल संसद में हम उनसे लगातार ये पूछते रहे कि बताओ तो कि इस अविश्वास का कारण क्या है? लेकिन वो इसका कारण नहीं बता पाए.  हमने संकल्प लिया है जिन लोगों ने यहां के लोगों को 18वीं सदी में जीने के लिए मजबूर कर दिया हम उसे बदल कर रख देंगे. हम जल्द ही सभी घरों तक बिजली पहुंचा कर रहेंगे. हमने बिचौलियों और मुफ्तखोर लोगों का धंधा बंद करवा दिया ऐसे में वो हमें हटाना चाहते हैं. हमने देश के हर गांव हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. 18000 गांवों तक जब बिजली पहुंची तो उन लोगों ने ये बोलना शुरू कर दिया कि गांव में बिजली गई, लेकिन घरों तक नहीं पहुंची है. ऐसे में हम उनसे पूछते हैं कि अगर घर तक बिजली नहीं पहुंची थी उसका जिम्मेदार कौन है? 70 सालों तक उन लोगों ने राज किया, लेकिन बिजली गांव और घरों तक बिजली नहीं पहुंचा सके. किसान और गरीबों की सबसे बड़ी दुश्मन है बीमारी और बीमारी से बचने के लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत एक परिवार को एक वर्ष में 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज कराने का प्रबंध हम करने जा रहे हैं. इस बार पहले की तुलना में 6 गुणा अधिक गेहूं की खरीदारी की गई है. अपूर्ण और असंवेदनशील सोच ने देश और देश के किसानों का बहुत बड़ा नकुसान किया. पिछली सरकार विदेशों से पेट्रोल लाती रही और यहां देश में किसान परेशान होते रहे. सरकार ने फैसला लिया कि गन्ने से सिर्फ चीनी ही पैदा ना हो बल्कि इससे गाड़ियों के लिए ईंधन भी बने. इसके लिए गन्ने से एथेनॉल बनाने और उसे पेट्रोल में मिक्स करने का निर्णय लिया गया. अगर यह होता है तो अच्छा कदम है जिसकी सराहना की जानी चाहिए.
धान, मक्का, दाल और तेल वाली 14 फसलों के सरकारी मूल्य में 200 रुपये से 1800 रुपये कि बढ़ोत्तरी देश के इतिहास में कभी नहीं हुई. मैं योगी जी और उनकी सरकार ने धान और गेहूं की खरीददारी में बढ़ोत्तरी की है.  किसानों में वो ताकत होती है की अगर उसको पानी मिल जाए तो वो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है. हमें उत्तर प्रदेश के किसानों की चिंता है. बीते एक साल में योगी जी सरकार बनने के बाद काम तेजी आई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो लाख के करीब किसानों के खेतों में पानी पहुंचने को तैयार है. देश में सिंचाई परियोजनाओं को लेकर काम तेजी से काम चल रहा है.

मोदी जी हर मंच का इस्तेमाल अपने पक्ष में करने और विपक्ष खासकर कांग्रेस पर कोई भी हमला करने से नहीं चूकते. हर विपरीत परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाने में जो महारत उन्हें हासिल है शायद आज के किसी नेता में नहीं है. प्रधान मंत्री की भाषा शैली, अंदाज, हाव-भाव लोगों को भाते हैं और वे उनके प्रशसंक और समर्थक बन जाते हैं. उनकी भाषा के कई अर्थ होते हैं और लोग अपने-अपने विचार के अनुसार या छिपे हुए इशारे के साथ समझते हैं.

उधर पूरे देश में दल-दल है इस पर प्रधान मंत्री कुछ नहीं कहते या कहते भी हैं तो रोक लगाने का कोई सार्थक प्रयास नहीं करते उलटे mob lynching में शामिल लोगों को उनके मंत्री फूल माला पहनाते हैं. गोरक्षा से शुरू हुई इस भीड़-तंत्र द्वारा कानून हाथ में लेने की घटना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. कहीं बच्चा चोरी के नाम पर तो कहीं कोई बयान को लेकर किसी को भी भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है या उसे शारीरिक नुक्सान कर उसके मुंह को बंद करने की कोशिश की जाती है. उसी प्रकार दलित और कमजोर वर्ग के लोगों पर हो रही हत्या पर भी राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी कदम उठाने ही चाहिए. हमारे देश में हम शांतिपूर्वक रह सकें यह तो हमारा मौलिक अधिकार है न! महिलाओं पर दुष्कर्म और यातना देने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही. निश्चित ही इन घटनाओं को रोके जाने की सख्त जरूरत है न कि उसे धर्म या जाति के नाम पर किसी को बचाने या फंसाने का प्रयास होना चाहिए.

हाल की घटनाओं में पंचकूला के मोरनी में गेस्ट हाउस में नौकरी का झांसा देकर 22 वर्षीय महिला से गैंगरेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है. करीब 40 लोगों पर आरोप लगे हैं. पीड़िता का आरोप है कि रायपुररानी-मोरनी रोड पर स्थित कंबवाला गांव के एक गेस्ट हाउस में चार दिन तक बंधक बनाकर 40 लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया.

आरोपी महिला को खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर वारदात को अंजाम देते रहे. चौथे दिन महिला आरोपियों के चंगुल से जैसे-तैसे भाग निकली और घर पहुंचकर पति को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद पीड़ित महिला ने पति के साथ पंचकूला पुलिस को शिकायत देनी चाही लेकिन पुलिस ने उसकी नहीं सुनी. बाद में महिला ने मनीमाजरा थाने में शिकायत दर्ज कराई. मनीमाजरा पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामला पंचकूला पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. मामला उच्चाधिकारियों और मीडिया तक पहुंचने के बाद पंचकूला पुलिस हरकत में आ गई और शुक्रवार को आनन-फानन में मोरनी चौकी इंचार्ज, महिला थाने की एएसआई और इलाके के सिक्योरिटी एजेंट को सस्पेंड कर दिया. उधर, पुलिस ने तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.

हरियाणा पुलिस ने मंदिर में कई महिलाओं से बलात्कार करने और उनका वीडियो बनाने के आरोप में बाबा अमरपुरी को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि बाबा ने अब 120 महिलाओं से मंदिर में बने अपने कमरे में दुष्कर्म किया. बाबा के कमरे सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे, इससे महिलाओं की वीडियो भी बनाई. आरोपी बाबा फतेहाबाद के तोहाना में बाबा बालकनाथ मंदिर में बतौर महंत तैनात था.

अब तो ऐसे बाबाओं की बाढ़-सी आ गयी है जो महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपी हैं. प्रतिदिन इस प्रकार की दुर्दांत और वीभत्स घटनाओं में बृद्धि हो रही है. इस पर लगाम लगनी ही चाहिए. साथ ही युवाओं को रोजगार, किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत और नुक्सान होने पर मुआवजा मिलना ही चाहिए. अन्नदाता आत्महत्या न करे बल्कि हम सबको खिलाता पिलाता और पालन पोषण करत रहे साथ ही अपना और अपने परिवार का भी भरण पोषण कर सके यह तो उसका अधिकार बनता ही है न?

मेरा इस लेख के माध्यम से सभी लोगों से यही निवेदन होगा कि भले ही अभी मोदी के विकल्प में कोई बड़ा नेता नहीं दीखता हो, पर अत्यधिक ताकत सत्ता को निरंकुश और अहंकारी बना देती है, जिसके लक्षण बीच बीच में दिख ही जाते हैं. इसलिए मुद्दों पर आधारित समर्थन या विरोध करें. व्यक्ति नहीं समष्टि की चिंता करें. हमारा देश बहुत ही प्यारा है और आगे भी रहेगा इसकी उम्मीद की जानी चाहिए. अंत में आप सभी जानते हैं – तुझ से पहले जो इक शख़्स यहाँ तख़त नशीन था. उसको भी अपने ख़ुदा होने काइतना ही यक़ीन था – हबीब जालिब … जयहिंद! जय भारत!

  • जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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