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जिसका डर था वही हुआ – शर्मिष्ठा

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ढेर सारी आशंकाओं, अपेक्षाओं, आपत्ति और पूर्वाग्रहों के बावजूद आखिर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी साहब ने नागपुर के संघ कार्यालय के आमंत्रण को स्वीकारते हुए, वहां पहुँच गए और उन्होंने वही कहा जो उन्हें कहना चाहिए था. पर भाजपा की आईटी सेल को क्या कहा जाय जो हर भलेमानुष की तस्वीर से छेड़छाड़ कर से मनचाहा रूप दे देते हैं. मीडिया में दोनों चित्र उपलब्ध है एक जो वास्तविक है और दूसरा फोटोशोप के द्वारा एडिटेड है. पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को यही डर था और हुआ भी वही ! आखिर भाजपा और आरएसएस की मीडिया सेल चाहती क्या है? क्या सभी लोग उसी के अनुसार चलेंगे? जो नहीं चलेंगे उसे भी वे मजबूर कर देंगे?

 

 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में कहा है कि अगर हम राष्ट्रीयता को असहिष्णुता के रूप में परिभाषित करने की कोशिश करेंगे तो हमारी पहचान धुंधली हो जाएगी क्योंकि यह बहुलवाद का उत्सव मनाने वाली भूमि है. वे बृहस्पतिवार(7 जून) को यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघ शिक्षा वर्ग (तृतीय वर्ष) के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कांग्रेसियों के जबरदस्त विरोध के बीच इस कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ राजनेता मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता एक दूसरे में गुथे हुए हैं. इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है. हमारा समाज शुरू से ही खुला था और सिल्क रूट से पूरी दुनिया से जुड़ा था. यही नहीं, यूरोप से बहुत पहले ही हम राष्ट्र के रूप में स्थापित हो चुके थे और हमारा राष्ट्रवाद उनकी तरह संकुचित नहीं था. यूरोपीय राष्ट्रवाद साझा दुश्मन की अवधारणा पर आधारित है, लेकिन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की विचारधारा वाले भारत ने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना. प्राचीन काल में भारत आने वाले सभी यात्रियों ने इसकी प्रशासनिक दक्षता, ढांचागत सुविधा और व्यवस्थित शहरों की तारीफ की है.

मुखर्जी ने कहा कि इस देश में इतनी विविधता है कि कई बार हैरानी होती है. यहां 122 भाषाएं हैं, 1600 से ज्यादा बोलियां हैं, सात मुख्य धर्म हैं और तीन जातीय समूह हैं लेकिन यही विविधता ही हमारी असली ताकत है. यह हमें पूरी दुनिया में विशिष्ट बनाता है. हमारी राष्ट्रीयता किसी धर्म या जाति से बंधी हुई नहीं है. हम सहनशीलता, सम्मान और अनेकता के कारण खुद को ताकतवर महसूस करते हैं. हम अपने इस बहुलवाद का उत्सव मनाते हैं.

 

समाज और देश को आगे ले जाने के लिए बातचीत बहुत जरूरी है. बिना संवाद के लोकतंत्र नहीं चल सकता है. हमें बांटने वाले विचारों की पहचान करनी होगी. हो सकता है कि हम दूसरों से सहमत हो और नहीं भी हों लेकिन किसी भी सूरत में विचारों की विविधता और बहुलता को नहीं नकार सकते हैं. खुशहाली सूचकांक में पीछे क्यों – श्री प्रणव मुखर्जी ने सवाल उठाया कि आर्थिक मोर्चे पर शानदार उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद खुशहाली सूचकांक (हैपीनेस इंडेक्स) में हम 133वें नंबर पर क्यों हैं. इस मामले में प्रगति करने के लिए हमें कौटिल्य को याद करना चाहिए, जिनका एक संदेश संसद के गेट नंबर छह पर लिखा है. इसमें कहा गया है कि जनता की खुशी में ही राजा की खुशी है. अब हमें शांति, सौहार्द्र और खुशी फैलाने के लिए संघर्ष करना चाहिए।

नागपुर में भाषण के कुछ ही घंटे बाद सोशल मीडिया पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की संघ नेताओं की तरह सैल्यूट करती तस्वीर जारी हो गई. प्रणब की बेटी शर्मिष्ठा ने इसे भाजपा की करतूत बताया है. शर्मिष्ठा ने कहा कि देखिए मुझे जिसका डर था और जिसके लिए मैंने अपने पिता को चेताया था, वही हो रहा है. अभी कुछ घंटे भी नहीं बीते हैं और भाजपा-संघ के डर्टी ट्रिक्स विभाग ने जोर-शोर से काम शुरू कर दिया है. बता दें कि नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संबोधन से एक दिन पहले उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पिता के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को अनुचित ठहराया था. शर्मिष्ठा ने कहा था कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी. उन्होंने कहा था कि संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है.

 

शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही समझ जाएंगे कि भाजपा की गंदी चालबाजी कैसे काम करती है. संघ कभी नहीं मानेगा कि अपने (प्रणब के) भाषण में आप इसके विचारों की सराहना कर रहे हैं. शर्मिष्ठा का यह बयान उन खबरों के बाद आया, जिनमें कहा गया है कि प्रणब मुखर्जी चाहते हैं कि शर्मिष्ठा मालदा (पश्चिम बंगाल) से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. हालांकि भाजपा में शामिल होने की अफवाहों को खारिज करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने के बजाय राजनीति से संन्यास लेना पसंद करेंगी.
कांग्रेस छोड़ने की अफवाह को बकवास बताते हुए शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया है, ‘पहाड़ों में खूबसूरत सूर्यास्त का आनंद लेने के बीच भाजपा में मेरे शामिल होने की अटकलें मेरे लिए ‘टॉरपिडो’ की तरह हैं. इस दुनिया में कहीं भी सुकून और शांति नहीं मिल सकती है क्या?’

 

अब इस खबर को सभी मीडिया विशेषज्ञ अपने अपने अपने ढंग से आँक रहे हैं. विश्लेषित कर रहे हैं. हालाँकि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अच्छी ही बात कही कि भारत में जन्मे हर कोई भारतीय है और उसका सम्मान और रक्षा होनी ही चाहिए. आरएसएस के बारे में मुझे ज्यादा नहीं मालूम, कुछ लोग इसे समाजक संगठन बतलाते हैं तो कुछ इसे राजनीति में दखलंदाजी भी मानते हैं. आरएसएस का संगठन हर स्तर पर क्रियाशील है और लोगों की मदद भी करता है. पर इसकी आड़ में अन्य सहयोगी संगठन जो हिंसा फैलाते रहते हैं, वे मुझे पसंद नहीं है.

 

भाजपा और नरेंद्र मोदी का सत्ता में रहना कितना जरूरी है, इसका प्रमाण हाल के क्रियाकलापों से चलता है. मोदी जी जो कभी मुस्लिम की गोल टोपी पहने से इनकार कर चुके थे अब हरे रंग की चादर ओढ़े मस्जिद में कलमा पढ़ते नजर आने लगे हैं. राजनाथ सिंह गोल टोपी पहनकर मस्जिद में मत्था टेकते दीख रहे हैं. यह मुस्लिम तुष्टिकरण नहीं है? इसे कहते हैं सबका साथ सबका विकास! कुछ दिन पहले दलित के घर भोजन करने का भी नाटक चला था. पर दलितों को न्याय कब मिलेगा? किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत कब मिलेगी? नौजवानों को रोजगार कब मिलेगा? भ्रष्टाचार मिट गया क्या? भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करनेवाले को ही पुलिस गिरफ्तार कर ले रही है, उत्तर प्रदेश में? क्या ऐसे ही भ्रष्टाचार का खात्मा होगा? मोदी जी टी वी पर अनेक योजनाओं की घोषणा और  प्रचार-प्रसार करते हैं. समाचार पत्र सरकार के विज्ञापनों से भरे रहते है पर जमीन पर वह काम दीखता नहीं. चाहे मुद्रा योजना हो या या स्टार्टअप – सबमे बैंक वाले साधारण लोगों को ऋण देने में आना-कानी करते हैं पर नामदार लोगों को ऋण देकर भूल जाते हैं.

 

चार साल बीत चुके हैं. मोदी जी की उपलब्धि के नाम पर कुछ ख़ास है नहीं तो अब मोदी जी की हत्या की साजिश की अफवाह फैलाई जा रही है. यह सच है कि उच्च पदस्थ लोगों की सुरक्षा चाक चौबंद होनी चाहिए पर उसे अफवाह की तरह फैलाकर भेड़िया आया! भेड़िया आया! चिल्लाने से अगर सचमुच का भेड़िया आ गया तो? हमें नहीं भूलना चाहिए कि महात्मा गाँधी से लेकर इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की हत्या नृशंश तरीके से हो चुकी है. महत्वपूर्ण लोगों के साथ-साथ आम लोगों की भी जान माल की रक्षा होनी चाहिए. जीने का अधिकार हर किसी को है.

 

अंत में मेरा आग्रह होगा सभी मित्रों, पाठकों, राजनेताओं, स्वयंसेवी सगठनों से कि वे सरकार के कमियों को देखें और दिखाएँ. ऐसा भी नहीं है कि पिछले ६०-६५ साल में कुछ नहीं हुआ. पिछले चार सालों में भी कुछ-कुछ हो रहा है, पर जितना बोला गया था और आज भी बोला जा रहा है, उतना नहीं हुआ है. बहुत कुछ बाकी है. गंगा के साथ अन्य नदियों को भी निर्मल करना. सबको पीने के लिए स्वच्छ पानी मुहैया करना. किसानों और मजदूरों को उनका हक़ दिलाना. सबको शिक्षा और सबको स्वास्थ्य, यह सरकार की प्राथमिकता में होनी चाहिए. तभी होगा सबका साथ सबका विकास! – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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