- 457 Posts
- 7538 Comments
भारतीय महिला क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया। एक वक्त मैच पूरी तरह भारत की झोली में जाता दिख रहा था, लेकिन आखिरी के 10 ओवरों में मैच का रुख पलट गया और इंग्लैंड टीम ने एक बार फिर वर्ल्ड कप पर कब्जा कर लिया। फिर भी मिताली और टीम इंडिया बधाई की पात्र है, क्योंकि फाइनल में पहुंचना और संघर्ष करते हुए खेलना ही मैच का उद्देश्य होना चाहिए। चैम्पियन्स ट्रॉफी में जिस तरह से भारत, पाकिस्तान से हारा था वह बेहद शर्मनाक था। उस मैच के लिए पूरे देश में क्या माहौल बना था और क्या परिणाम आए, यह बताने की जरूरत नहीं है। महिला क्रिकेट टीम को वैसे भी मीडिया और हम भारत के लोग उतना महत्व नहीं देते। मैं तो हमारी बेटियों का प्रशंसक हूं, क्योंकि ये हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
इस मैच में 10 अहम टर्निंग प्वॉइंट रहे, जिससे भारतीय टीम जीती हुई बाजी हार गई।
1. टॉस जीतकर मेजबान टीम ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन भारतीय गेंदबाजी को मिली शुरुआती सफलता ने इंग्लैंड टीम की तेज शुरुआत पर कुछ हद तक ब्रेक लगा दिया। 11 से 16 ओवर के बीच में इंग्लैंड टीम को लगातार तीन झटके लगे। पूनम यादव ने दो, तो राजेश्वरी गायकवाड़ ने एक विकेट झटककर इंग्लैंड को बड़े स्कोर से रोका।
2. 16वें ओवर में झटके के बाद इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने पैर जमाने की कोशिश की और स्कोर में एक-एक कर रन बढ़ने लगे। स्कोरबोर्ड इंग्लैंड के 3 विकेट पर 146 रन पर जा पहुंचा। इस बीच सारा टेलर और नताली स्काइवर के बीच चौथे विकेट के लिए 83 रन की पार्टनरशिप हो गई, लेकिन फिर 33 ओवरों में इस जोड़ी को झूलन गोस्वामी ने तोड़ दिया। 33वें ओवर में भारतीय गेंदबाजी झूलन ने ही टेलर (45) को भी सुषमा वर्मा के हाथों कैच करा दिया।
3. 33वें ओवर में झूलन ने लगातार दो गेंदों पर दो विकेट झटके। पहले भारत के लिए सिर दर्द साबित हो रहीं सारा टेलर को आउट किया और फिर अगली ही गेंद पर नई बैट्समैन फ्रेन विल्सन को क्रीज से चलता किया। इससे मैच में भारतीय टीम ने जोरदार तरीके से वापसी की, और फिर इंग्लैंड की टीम पर कुछ देर के लिए खुलकर खेलने पर ब्रेक लग गया। इससे स्कोर 228 तक ही पहुंच पाया।
4. सारा टेलर और नताली स्काइवर के बीच चौथे विकेट के लिए 83 रन की पार्टनरशिप हुई। सारा टेलर के आउट होने के बाद नताली स्काइवर खुलकर खेलने लगीं और फिर ये विकेट लेना भारतीय टीम के लिए जरूरी हो गया था। ऐसे में एक बार फिर 37.1 ओवरों में नताली स्काइवर (51) के रूप में भारत को छठी सफलता मिली। यह विकेट भी झूलन गोस्वामी के झोली में गया।
5. आखिरी के 10 ओवरों में इंग्लैंड की टीम ने तेजी से रन बनाने की कोशिश की। कैथरीन ब्रंट तेजी से रन जुटा रही थीं, तभी 46वें ओवर में कैथरीन को 34 रन पर दीप्ति शर्मा ने रन आउट कर दिया। सातवां विकेट गिरने के बाद इंग्लैंड की टीम ने रन बनाने के बजाय पूरे ओवर खेलने पर अपना फोकस दिया, जिससे स्कोर 230 से ऊपर नहीं पहुंच पाया।
6. भारत को शुरुआती झटका। 228 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय महिला टीम की स्मृति मंधाना दूसरे ही ओवर में बिना खाता खोले आउट हो गईं, जिससे ओपनिंग में भारतीय टीम को जो रफ्तार मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिल पाई।
7. तीसरे विकेट की शानदार साझेदारी। स्मृति मंधाना का विकेट गिरने के बाद हरमनप्रीत कौर और पूनम राउत ने भारतीय पारी को आगे बढ़ाया। दोनों के बीच तीसरे विकेट के लिए 95 रनों का पार्टनरशिप हुई, जिससे भारत की राह आसान हुई।
8. मिताली राज का राउट होना। पूनम राउत के 85 रन पर आउट होने के बाद एक वक्त पूरी तरह से मैच भारत की पकड़ में आ गया था। इसके बाद मिताली राज 17 रन बनाकर आउट हो गईं और फिर इंग्लैंड की टीम ने भारतीय टीम के रन बनाने के रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। इसके बाद हरमनप्रीत कौर के तेजी से रन बनाने की जिम्मेदारी संभाली और फिर शानदार 51 रनों की पारी खेली।
9. लगातार विकेट गिरना। हरमनप्रीत कौर के आउट होने के बाद भी टीम इंडिया की राह आसान लग रही थी, लेकिन 42वें ओवर के बाद लगातार एक के बाद एक चार विकेट गिर गए। इससे भारतीय टीम बैकफुट पर आ गई और प्रशंसकों में मायूसी छा गई।
10. 42वें ओवर में झटके के बाद भारतीय टीम उबर नहीं पाई। इंग्लैंड की अन्या श्रब्सोल ने 46 रन देकर 6 विकेट झटकर मैच भारत से छीन लिया। आखिरी के 28 रन बनाने में भारतीय टीम ने 7 विकेट गवां दिए, जिसके बाद पूरी टीम 219 रन पर ऑल आउट हो गई और 9 रन से भारतीय टीम मैच हार गई।
25 जून, 1983 को लॉर्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप को हाथ में उठाए कपिल की तस्वीरें हर हिन्दुस्तानी के ज़ेहन में जिंदा हैं, क्योंकि इस तस्वीर ने भारतीय क्रिकेट की दुनिया बदल दी। उस वक्त भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज की उम्र बस 6 महीने थी। मिताली और उनकी टीम के लिए एक बार फिर इसी बालकनी में कप उठाकर भारतीय महिला क्रिकेट को बुलंदी पर ले जाने का एक शानदार मौक़ा था। 34 साल पहले टीम इंडिया ने लॉर्ड्स पर दुनियाभर में अपनी बादशाहत साबित की थी। 34 साल बाद महिला टीम से कुछ वैसे ही धमाके की उम्मीद की जा रही थी।
महिला टीम के हौसले बुलंद थे। मिताली इंग्लैंड को हराने के बावजूद उसकी चुनौती को हल्का नहीं आंक रही थीं। कप्तान मिताली ने कहा भी था कि एक टीम की तरह हम बहुत उत्साहित हैं. हमें शुरू से ही मालूम था कि ये टूर्नामेंट हमारे लिए आसान नहीं होगा, लेकिन जब भी ज़रूरत पड़ी हमारी लड़कियों ने स्तर से ऊपर उठकर प्रदर्शन किया. सिर्फ़ बैटिंग या बॉलिंग ही नहीं, एकाध मौकों को छोड़ दें, तो टीम ने फ़ील्डिंग में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। हमने ऑस्ट्रेलिया जैसी अच्छी टीम को परास्त किया है, लेकिन इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हमें अलग प्लानिंग करनी होगी और रणनीति बनानी होगी। हमसे हारने के बाद इंग्लैंड ने भी इस टूर्नामेंट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
वनडे क्रिकेट में 6000 से ज़्यादा रन बनाने वाली इकलौती बल्लेबाज़ मिताली कहती हैं कि 2005 में भी हमने फ़ाइनल में खेला था, लेकिन तब बात अलग थी। तब किसी को पता भी नहीं था कि हमने क्वालीफ़ाई किया है। सब मेन्स क्रिकेट में व्यस्त थे। अगर हम ख़िताब जीत पाए, तो ये हमारे लिए बड़ी कामयाबी होगी। मैंने लड़कियों को कहा है कि वे इस मौक़े का लुत्फ़ उठाएं। लॉर्ड्स पर फ़ाइनल खेलना सबके लिए किस्मत की बात है। इतिहास की वजह से लॉर्ड्स पर खेलना सभी क्रिकेटर के लिए सपने जैसा होता है। मिताली ने कहा कि फाइनल आसान नहीं होगा, लेकिन हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
लड़कियों ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हार-जीत लगी रहती है पर संघर्षपूर्ण ढंग से मैच खेलना अपने आप में गर्व का विषय है। रविवार को लॉर्ड्स के क्रिकेट मैदान पर भारत और इंग्लैंड की महिला टीमों के बीच वर्ल्ड कप फाइनल खेला गया। मिताली राज की कप्तानी में भारत ने दूसरी बार महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने का गौरव हासिल किया। 2005 में भी भारत फाइनल में पहुंचा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार गया था। लॉर्ड्स के मैदान पर भारतीय महिला टीम का यह तीसरा एकदिवसीय मैच था और पहला वर्ल्ड कप मैच।
भारतीय महिला टीम ने अपना पहला एकदिवसीय मैच लॉर्ड्स के मैदान पर 2006 में खेला था और इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच को 100 रन से हार गई थी, फिर 2012 में इंग्लैंड को 5 विकेट से हराया था। लॉर्ड्स के मैदान पर भारत और इंग्लैंड महिला टीम के बीच आखिरी मैच 25 अगस्त 2014 को खेला गया था, लेकिन बारिश की वजह से यह मैच रद्द हो गया था।
कपिल देव की कप्तानी में लॉर्ड्स में भारत ने जीता था वर्ल्ड कप : लॉर्ड्स के मैदान पर भारतीय महिला टीम ने कोई फाइनल मैच नहीं खेला है, लेकिन पुरुष टीम ने इस मैदान पर दो फाइनल मैच खेला है और दोनों मैच जीतने में कामयाब हुई है। कपिल देव की कप्तानी में भारत ने इसी मैदान पर 1983 का वर्ल्ड कप जीता था। 1983 के वर्ल्ड कप के फाइनल से पहले किसी को यह उम्मीद भी नहीं थी कि भारत, वेस्टइंडीज जैसी दो बार की चैंपियन रही टीम को हराकर वर्ल्ड कप जीतने का गौरव हासिल करेगा, लेकिन लॉर्ड्स में भारत ने यह कर दिखाया था। वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराकर भारत ने इतिहास रचा था। इस जीत के साथ भारत ने पहली वार वर्ल्ड कप जीतने का गौरव हासिल किया था। एक बार फिर मिताली और उनकी टीम को बधाई।
Read Comments