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राज्य सभा का टिकट न मिलने से कुमार विश्वास नाराज

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कवि से आम आदमी पार्टी के राजनेता बने डॉ कुमार विश्वास संभवतः पार्टी के भीतर अपनी राजनैतिक भूमिका के अंत तक पहुंच गए है, क्योंकि अब अरविंद केजरीवाल उनके उन संदेशों का भी जवाब नहीं दे रहे हैं, जिनमें वह अपने 12 साल पुराने साथ का हवाला देते हुए मुलाकात की ख्वाहिश जता रहे हैं. यह दरार राज्यसभा की उन तीन सीटों के मुद्दे पर है, जो ‘आप’ को मिलना तय है, और जिनकी वजह से पार्टी के भीतर चल रहा घमासान उजागर हो गया है. बताया जाता है कि कुमार विश्वास से एक कदम आगे रहने की कोशिश में अरविंद केजरीवाल ने ये तीन सीटें जानी मानी हस्तियों को दिए जाने की पेशकश की, लेकिन काम नहीं बना. RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सार्वजनिक रूप से ‘नहीं, शुक्रिया’ कह डाला, और BJP के बागी नेताओं यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज टीएस ठाकुर, जाने-माने वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम, उद्योगपति सुनील मुंजाल तथा इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की ओर से भी मिलते-जुलते जवाब ही आए, हालांकि वे कुछ ‘चुपचाप’ आए.
‘इंकार’ की इस झड़ी के बाद ‘आप’ नेता संजय सिंह का काम बन गया, दो बाहरी लोगों- चार्टर्ड एकाउंटेंट एनडी गुप्ता तथा पूर्व में कांग्रेस के साथ जुड़े रहे व्यवसायी सुशील गुप्ता के नाम भी शॉर्टलिस्ट किए गए. इससे ‘आप’ के कई वरिष्ठ नेताओं का संसद के उच्च सदन में पहुंचने का सपना चूर-चूर हो गया, जिनमें पूर्व पत्रकार आशुतोष भी शामिल हैं, जिनका दावा काफी मजबूत माना जा रहा था. इस बात से पार्टी कैडर और विधायक भी नाराज़ हैं. ‘आप’ विधायक अल्का लाम्बा ने सोशल मीडिया पर खुलकर पूर्व बैंकर मीरा सान्याल का समर्थन करते हुए कहा था कि राज्यसभा सीट उन्हें मिलनी चाहिए. दिल्ली के मंत्री तथा दो अन्य विधायकों को केजरीवाल ने यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि पार्टी विधायक दोनों बाहरी लोगों के पक्ष में ही मतदान करें. कुमार विश्वास, अपनी छवि के अनुरूप, शायराना अंदाज़ में ही अपनी तकलीफ भी बांट रहे हैं कि कैसे राजनीति की दुनिया में उनके अगले तार्किक कदम -राज्यसभा सदस्यता पाना- को नाकाम करने की कोशिश की गई. कुमार विश्वास कहते हैं, “मैं इंसान हूं, मेरी भी महत्वाकांक्षाएं हैं… मैं और बड़ी संख्या में मेरे समर्थक मानते हैं कि मुझे राज्यसभा में पहुंचना चाहिए, जहां मैं BJP और कांग्रेस के खिलाफ सधी हुई आवाज़ बन सकूंगा… मैंने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी”
प्रोफेसर, हिन्दी कवि और भीड़ जुटाने वाले कुमार विश्वास ने इसी साल अरविंद केजरीवाल को भी एक ज़ोरदार झटका दिया था- ऐसी ख़बरें थीं कि उन्होंने तख्तापलट लगभग कर ही डाला था, ताकि वह उस आम आदमी पार्टी के मुखिया बन सकें, जिसकी 2012 में स्थापना करने वालों में वह भी शामिल थे. वैसे पार्टी पर काबिज़ होने की यह कथित कोशिश पहला मौका नहीं था, जब कुमार विश्वास को सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा हो. अब वे कह रहे हैं कि AAP में जो लोग उन्हें नीचे धकेलने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं, ताकतवर बने हुए हैं. उन्होंने ऐसे लोगों को ‘कायरों’ की संज्ञा दी, जो ‘महाभारत के अभिमन्यु की तरह उनका वध करने के लिए एकजुट हो गए हैं…’ उनकी बड़ी शिकायतों में से एक यह भी थी कि जिन अमानतुल्लाह खान ने उन्हें ‘RSS एजेंट’ कहा था, और उन पर तख्तापलट की साज़िश का आरोप लगाया था, उन्हें पार्टी में सभी पदों पर बहाल कर दिया गया है. वर्ष 2015 में दिल्ली में मिली शानदार जीत की बदौलत आम आदमी पार्टी दिल्ली की तीनों राज्यसभा सीटें निश्चित रूप से जीत जाएगी. ये सीटें जनवरी में खाली होंगी, जब मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल खत्म होगा, और कुमार विश्वास का कहना है कि तीनों में से एक सीट के हकदार वह हैं. “मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि पार्टी मेरे साथ प्रशांत भूषण योगेंद्र यादव पार्ट- 2 की योजना बना रही है… मेरे से असुरक्षा किसे महसूस हो रही है… मेरे खिलाफ काम कर रही गुट कहती रही, वह सिर्फ आलोचना करते हैं, ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं करते, तो मई में मैंने कहा था, ठीक है, मुझे दिल्ली में (निगम चुनाव के लिए) काम करने दीजिए… मेरी नहीं मानी गई… फिर मैंने पंजाब के लिए कहा, वह भी नहीं मानी गई… आखिरकार, मुझे राजस्थान दिया गया, और मैं वहां गया… कहने के बावजूद AAP के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार भी मेरी मदद नहीं की…”
कुमार ने कहा, “जब मैंने पार्टी बनाई थी, हम विपक्ष नहीं, विकल्प बनना चाहते थे… अब लगातार सात चुनाव हारकर, जिनमें पंजाब उपचुनाव भी शामिल है, जिस तरह पार्टी चल रही है, क्या मुझे उसकी तारीफ करनी चाहिए…?”
इण्डिया टीवी के एक कार्यक्रम में कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी सुशील गुप्ता की तुलना कुत्ते से कर डाली है. इस कार्यक्रम में कुमार विश्वास से शो के एंकर रजत शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया में ये बातें की जा रही हैं कि सुशील गुप्ता ने 50 करोड़ रुपए दिये इसिलिए उन्हें आप ने राज्यसभा का टिकट दे दिया. इस पर कुमार ने कहा मैं ऐसा नहीं कहूंगा नहीं तो मेरे ऊपर मानहानि का मुकदमा हो जाएगा. कुमार ने आगे कहा कि हां ये जरूर पूछा जा रहा है कि सुशील गुप्ता गले में अजगर लपेटने के अलावा और क्या-क्या कर लेते हैं. कार्यक्रम में कुमार विश्वास ने बताया कि अरविंद केजरीवाल उनसे अपने ऊपर कविताएं लिखने को कहते थे. कुमार विश्वास ने बताया कि इसिलिए पिछले तीन दिनों में मैंने उनके लिए जीवन की पहली औऱ आखिरी कविता लिख दी है. शो में कुमार विश्वास ने उनपर लिखी कविता को पढ़ कर भी सुनाया. इस कविता में कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर जमकर हमला बोला है.
इधर सोशल मीडिया पर भी आम आदमी पार्टी के समर्थक बंटे हुए दिखलाई पड़ रहे हैं पर ज्यादातर लोग अरविन्द को ही सही मन रहे हैं. कुमार विश्वास के प्रशंसक भी उनके हाल के बयानों से चिंतित हैं. कुछ कह रहे हैं- हम आम आदमी पार्टी को सिर्फ उसके द्वारा जनहित में किये जा रहे कार्यों के कारण समर्थन कर रहे हैं, पार्टी में चाहे कोई आये या जाए उससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. केवल अपराधी, भ्रष्टाचारी और चरित्रहीन न आ पायें .
जिनको लगता है कि ये आप पार्टी बिना अरविंद के ज्यादा अच्छी चलेगी, वो KV को नेता बनाकर YY और PB जैसे बुद्दिजीवियों के सहयोग से अपना दमखम दिखाये तो अरविंद अपने आप खत्म हो जायेगा. अन्ना भी दुबारा आंदोलन का ऐलान कर ही चुके है. समझ नही आ रहा है कोई अन्ना, कोई KV ,कोई YY ,कोई कपिल मिश्रा, कोई बिन्नी या कोई किरण बेदी कैसे अरविंद को बना सकते है. अगर हाँ तो सब मिलकर ही दूसरा AK बना लें.
अंत में कुमार विश्वास की ही कविता – स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर हैं हम भी.
बहुत मशहूर हो तुम भी, बहुत मशहूर हैं हम भी. बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर हैं हम भी, अतः मजबूर हो तुम भी, अतः मजबूर हैं हम भी. -कुमार विश्वास
जब प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को पार्टी से बाहर निकाला गया था तब भी मैंने लिखा था- जो भी हुआ वह गलत हुआ है. इसबार भी गलत या सही क्या कहूँ?… अधिकांश पार्टियाँ व्यक्ति आधरित ही हैं. भाजपा का मतलब आज मोदी और अमित शाह ही हैं. कांग्रेस के बारे में सभी जानते हैं. इसके अलावा शिवसेना से लेकर बसपा, सपा, जे डी यु, आर जे डी, बी जे डी, टी एम सी, DMK आदि अनेकों क्षेत्रीय पार्टियाँ हैं जो किसे एक सुप्रीमो के अन्दर चल रही है. AAP के बारे में लोगों की धारना अलग थी, लेकिन यहाँ भी वही सब होता दिख रहा है तो विकल्प की उम्मीद क्या की जाय. फिलहाल मोदी जी का विकल्प बनना अभी मुश्किल दीख रहा है. तो जनता को भाजपा या कांगेस में से किसी एक से ही संतोष करना पड़ेगा. भाजपा मन ही मन खुश है और वे लोग कुमार विश्वास के प्रति सहानुभूति भी जता रहे हैं. अगर कवि विश्वास का मन डोला और वे भी नीतीश कुमार की तरह अंतरात्मा की आवाज पर भाजपा में शामिल हो गए तो पता नहीं अरविन्द केजरीवाल और AAP का क्या होगा?
-जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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