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कैदी की शायरी
जेलर (कैदी से): सुना है तुम शायर हो. कुछ सुनाओ यार.
कैदी (जेलर से): गम-ए-उलफत में जो जिंदगी कटी थी हमारी, जिस दिन जमानत हुई उस दिन जिंदगी खत्म तुम्हारी.
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संता (बंता से): कल रात मुझे एक आदमी ने चाकू दिखाकर लूट लिया.
बंता (संता से): लेकिन तुम्हारे पास तो बंदूक होती है.
संता: वो मैंने छुपा ली थी, वरना वो भी लूट लेता.
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पत्नी (पति से): रामायण के पाठ में लिखा है कि उस समय शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पिया करते थे, ये भला कैसे हो सकता है?
पति (पत्नी से): क्यों नही हो सकता, क्या मैं तुम्हारे साथ नहीं रहता?
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संता: बंता तू घोड़े के बराबर नहीं दौड़ सकता.
बंता: लेकिन घोड़ा दौड़कर भी मुझसे आगे नहीं जा सकता.
संता: ऐसा हो ही नहीं सकता.
बंता: क्यों नहीं हो सकता, मैं घोड़े पर बैठा जो रहूंगा.
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