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भाईचारा – जोली अंकल

Hindi Writer - Jolly Uncle
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भाईचारा

जौली अंकल

गट्टू को परीक्षा के दौरान नकल करते देख उसके टीचर ने उससे कहा कि यह क्या कर रहे हो? गट्टू ने बिना किसी शर्म और झिझक के टीचर को जवाब देते हुए कहा कि आपने खुद ही कहा था जब हर काम मिलजुल कर किया जाये तो उससे काम करना तो आसान हो ही जाता है साथ ही भाईचारा भी बढ़ता है। बस मैं भी इसी भाईचारे को बढ़ाते हुए अपने दोस्त से कुछ सवालों का जवाब पूछ रहा था। टीचर ने एक दूसरे बच्चे को खड़ा करके उससे पूछा कि तुम बताओ कि भाईचारे के क्या मायने होते है? इस लड़के ने भी नहले पर दहला मारते हुए कहा कि जो भाई लोग मिलकर चारा खाते है उसे भाईचारा कहते है। यह जवाब सुनते ही टीचर महोदय को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो किसी तरह अपने दांत पीसकर रह गये। परंतु अपने दिल का गुबार निकालते हुए उन्होने बच्चो से कहा कि तुम्हारे दूध के दांत अभी तक टूटे नही और तुम लोगो का दिमाग आसमान पर चढ़ता जा रहा है। भाईचारे जैसे गंभीर विशय पर इस तरह से दिल्लगी करना अच्छी बात नही होती।

टीचर की बात सुनते ही गट्टू को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने खड़े होकर टीचर से माफी मांगते हुए कहा कि मैं कई बरसो से अपने परिवार से दूर यहां होस्टल में अकेले रह रहा हॅू। हम लोग सच में नही जानते कि भाईचारा क्या होता है? टीचर ने बच्चो की भावनाओं की कद्र करते हुए उनसे कहा कि मैं समझ सकता हॅू कि परिवार से दूर रहना भी किसी सजा से कम नही होता। परंतु इतना तो आप भी समझते होगे कि आदमी एक सामाजिक प्राणी है और वो किसी तरह से भी समाज की उपेक्षा करके नही जी सकता। हर व्यक्ति में प्रेम-प्यार के गुण अवष्य होते है। वो बात अलग है कि हर कोई किसी को कम और किसी को अधिक प्रेम करता है। लेकिन एक बात पक्की है कि कोई भी आदमी बिना भाईचारे के जीवन व्यतीत करने की कल्पना भी नही कर सकता। कोई इंसान चाहे किसी भी धर्म को मानता हो लेकिन हर व्यक्ति के लिये सबसे पहला और बड़ा धर्म भाईचारे का होता है।

धर्म की बात आते ही गट्टू ने टीचर से कहा कि हिंदु अपनी रामायण को, मुसलमान अपनी कुरान को और सिख लोग अपने गुरूओं द्वारा रचित गुरू ग्रंथ साहिब को ही सबसे उत्तम मानते है। ऐसे में आपकी यह बात अपनी समझ में नही आ रही कि अलग-अलग धर्म को मानने वालो के बीच आपसी भाईचारा कैसे हो सकता है? इस बात का जवाब देते हुए टीचर ने गट्टू के साथ दूसरे बच्चो से कहा कि तुम्हारी बात बिल्कुल ठीक है कि हर धर्म को मानना और उसे अपनाने में कुछ न कुछ फर्क जरूर होता है। परंतु क्या कोई यह बता सकता है कि कभी किसी भी धर्मगुरू ने यह कहा है कि आपस में प्यार से रहने की बजाए मार-काट करो या एक दूसरे को नीचा दिखाओ। क्या हर धर्म के लोगो के खून का रंग या किस्म अलग-अलग होती है। जब किसी भी परिवार पर कोई संकट आता है या किसी के घर का सदस्य उन्हें सदा के लिये छोड़ कर चला जाता है तो उनके दुख-दर्द अलग-अलग होते है। मां चाहे किसी भी धर्म की हो अपने बच्चे से बिछड़ने की पीढ़ा सभी की एक जैसी ही होती है।

हर आदमी को हक है कि अपने धर्म की रस्मों को अपनी इच्छा मुताबिक निभाऐ लेकिन दूसरे धर्मों के प्रति भी उसी तरह उमंग और उत्साह दिखाए, जिस पवित्रता से अपने रीति-रिवाजो को निभाने में करते है। जिन लोगो के मन में भाईचारे की जगह सिर्फ दूसरों के दोश ढ़ूढने और आलोचना करने की आदत होती है उनकी यह कमजोरी उन्हें तबाह कर डालती है। आपने कई बार देखा होगा कि लाठी व पत्थर मारने से तो केवल हड्डियां टूटती हैं परन्तु एक दूसरे को जुबान से बुरे शब्द कहने से भाईचारा तो खत्म हो ही जाता है साथ ही सदा के लिये संम्बन्ध भी टूट जाते है। लेकिन इसी के साथ एक बार यदि इंसान अपने साथ-साथ दूसरों की अजादी, बराबरी और भाईचारे के सिद्वात को समझ ले तो समाज से सभी परेशानियां खत्म हो सकती है।

टीचर के मुंह से भाईचारे की इतनी बाते सुनने के बाद गट्टू के एक दोस्त ने कहा लेकिन हर धर्म को चलाने वाले हमें कुछ और ही सिखाते है। इस बात पर टीचर ने बच्चो को समझाया कि चंद बेवकूफ जो भाईचारे को ठीक से नही जानते वह अपने स्वार्थ के मद्देनजर आम आदमी को अपनी बेमतलब की बातों में उलझाये रखते है। हमें कभी भी ऐसे बेवकूफों की बातों का बुरा नही मानना चहिये, क्योंकि यह तो बाबा आदम के जमाने से ही बहुमत में रहते आये है। यदि फिर भी कुछ लोग आपके आसपास शान्ति एवं भाईचारा खत्म करने का प्रयास करें तो याद रखें कि नम्रता व शान्ति में बहुत बड़ी समझदारी है। जो कोई खुद पर नियंत्रण रखना सीख लेता है उसे फिर दुनियां की कोई ताकत किसी भी क्षेत्र में हरा नही सकती।

मानवता और भाईचारे में विष्वास रखने वालों को सदैव एक बात याद रखनी चाहिये कि विनम्रता आपके व्यक्तित्व को महान बनाती है और कठोरता आपको कमजोर बनाती है। इसी के साथ एक और जरूरी बात गौर करने वाली यह है कि जिस प्रकार समुद्र को लाघने की कोशिश में हर नदी उसी में समा जाती है ठीक उसी तरह शांत स्वभाव वाले को मूर्ख बनाना आसान नही होता। टीचर महोदय की अनमोल बाते सुनकर जौली अंकल को तो यह स्पश्ट हो गया है कि जो कोई स्वयं को हर परिस्थिति के अनुसार ढालना जानता है, उसे ही मानवता, प्यार और आपसी भाईचारा निभाने की कला आती है।

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