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वक़्त के सितम—-

poems and write ups
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वक़्त के सितम—–
वक़्त के सितम——-
बाबा ये तुम्हारे हाथों पर लकीरें कैसी हैं ?? उसने अपने कोमल हाथों से मेरे हाथों की झुर्रिओं को छूते हुए पूछा !
मैन कहा बेटा! वक़्त गुज़रते हुए निशानियाँ छोड़ गया है !
उसने फिर पूछा और ये इतने खुरदरे क्यों हैं ??
ये वक़्त के थपेड़े हैं मेरे बच्चे !
अच्छा ये तो बताओ ये तुमने लाठी क्यों पकड़ी है ???
ज़िंदगी ने अपने हाथ खीचने शुरू कर दिए हैं ,अब तो लड़खड़ाते क़दमों को इसी का सहारा है !

——————–ज्योत्स्ना सिंह !

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