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हमने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन —–
गजेन्द्र को क्या सूझी- कि उसने सोच लिया कि इतने सारे लोग हैं कोई ना कोई तो उसे बचा ही लेगा ,रोक ही लेगा कि भाई ऐसा मत करो ,मत लो अपनी जान ,अपने गले में फन्दा न डालो फाँसी का ! क्यूँ अपनी ही जान के दुश्मन बने हो ??पर वहां तो सब तमाशाई थे, उसको चढ़ा दिया पेड़ पर– लगा ले फन्दा ,देख तू रातों रात मशहूर हो जाएगा,कोई न कोई तो तुझे उतार ही लेगा ,न हींग लगेगी न फिटकरी और रंग भी चोखा हो जाएगा –“चढ़ जा बेटा सूली पे भली करेंगे राम “.और गजेन्द्र बेचारा भोला किसान आ गया इन चतुर चालाक राजनीतिज्ञों के चमचों के बहकावे में और बन गया बलि का बकरा ! उसने नहीं सोंचा था कि उसका गमछा छोटा है जल्दी कस जाएगा ,उसने नहीं सोंचा था कि लोग तमाशा देखते रहेंगे और वो अपनी जान से हाथ धो बैठेगा ! किसी ने उसे नहीं उतारा,किसी ने उसे नहीं रोका वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी मौत कि ओर बढ़ता रहा ,टीवी चैनल्स वाले उसके पेड़ पर चढ़ने से लेकर फाँसी का फन्दा लगाने और मौत होने की फिल्म बनाते रहे , केजरी वाल मंच से अपना भाषण देते रहे ,उनके चमचे ताली बजाते रहे ,पुलिस वाले दूसरी तरफ देखते रहे ,लोग तमाशा देखते रहे और वो तमाशा बन गया !खैर उसकी इहलीला तो समाप्त हो गयी पर अभी कई लीलाएं चलेंगी मीडिया पर ! बड़ी बड़ी बहसें होंगी,एक पार्टी दूसरी की लानत मलामत करेगी ,बड़े बड़े नेता और पत्रकार चैनल्स पर आ कर ज़ोर ज़ोर से बोलेंगे कि किसी के पल्ले कुछ नहीं पड़ेगा ! केंद्र राज्य को और राज्य केंद्र को दोषी करार देगा ,चैनल वाले इस मामले को पीटते रहेंगे जब तक कोई नै ,बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं मिल जाती !गजेन्द्र के परिवार वाले भी चैनल पर आके अपने आँसूभरे वाक्य बोलेंगे आखिर में कोई मुआवज़े का आश्वासन लेकर चुप हो जाएंगे और फिर शुरू होगा मंत्री, संत्री और दफ्तरों के चक्कर लगाने का दौर मुआवज़े में कई हिस्सेदार जो बन जाएंगे ! क्या किसानों की दशा गजेन्द्र के बलिदान से सुधरेगी??? क्या अब किसानों को फसल बर्बाद होने पर उचित मुआवज़ा मिलेगा??? क्या उनकी फसल को मंडी में उचित दामों पर खरीदा जाएगा ??? क्या मंडियों की दशा सुधरेगी ??? क्या उन्नत बीज,और खाद उसे उचित दामों पर बिना ब्लैक के मिल पाएगी ??? क्या किसानो की दशा में कोई सुधर आएगा या फिर वो किसान से सिर्फ बेचारा मजदूर बन कर रह जाएगा ??? कब आएंगे किसान के अच्छे दिन.??? हमने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन खाक हो जाएंगे हम उनको खबर होने तक !
—–ज्योत्स्ना सिंह!
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