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क्षितिज—–

poems and write ups
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प्रतियोगिता के लिए —-
क्षितिज —
“पापा सूरज कहाँ डूबता है ??” नन्हे चीकू ने मासूम सा सवाल किया डूबते सूरज को देख कर !
मैंने कहा ” बेटा ! क्षितिज में जहाँ धरती और और आकाश मिलते हैं”
“पापा चलो हम क्षितिज के पास चलें ” हम चल पड़े पर क्षितिज दूर और दूर होता गया !
“पापा क्षितिज अब तक आया क्यूँ नहीं ???” चीकू थक चुका था और हम वापिस लौट चले !
मैं उसे क्या बताता की धरती और आकाश कभी मिलते नहीं बस ऐसा लगता है की कहीं दूर वो मिल रहे हैं! “देखो पापा ” वो चाँद ” चीकू ने आकाश की और ऊँगली उठाते हुए कहा !
“हाँ बेटा जब सूरज जाता है तो चाँद उगता है ,अपनी रौशनी से धरती को नहलाने के लिए ”
और धरती घूमती रहती है दिन रात साल दर साल उनकी रौशनी में नहाती हुई !
——- ज्योत्स्ना सिंह !

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