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रंगोत्सव (२)—
आज रंग है —-
रंग है सखी
आज रंग है,
आओ खेलें
होली हम तुम !
रंग डाल डाल
सखी मो पे
कर दे गाल
गुलाबी मोरे
हो जाए सच
सपना पिया
आवन का !
डाल सखी मोपे
हरा हरियाला
हो जाऊं फिर से
नयी नवेली ,
तन पुलकित
मन तरंगित !
सखी डाल डाल
रंग मोपे लाल
लाल ,देखूं लाली
लाल की,मैं भी
हो जाऊं लाल !
सखी डाल डाल
रंग नीला मोपे
नील श्याम रंगू
बन जाऊं मैं राधा !
सखी डाल,डाल मोपे
हर रंग सलोना
आशा काख़ुशी का
उमंग का तरंग का
सपनो का,सच्चाई का
आज रंग है,सखी
रंग है,रंग है !
—–ज्योत्स्ना सिंह !
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