Menu
blogid : 9833 postid : 24

गुमान गोरे रंग का

poems and write ups
poems and write ups
  • 110 Posts
  • 201 Comments

जब देश आज़ाद नहीं था तो अंग्रेजों से हमें शिकाएत थी की वो हम से इसलिए नफरत करते हैं की हमारा रंग काला है. पर यकीन मानिये कि ये काले गोरे का भेद अब हमारे देश में और भी वीभ्स्त रूप में सामने आ रहा है.गोरे रंग वाले तो अपने रूप पर गर्व करते हैं और तमाम उपाए करते हैं कि कहीं गोरा रंग कला न पड़ जाए.वहीँ काले रंग वाले हीन भावना से ग्रस्त गोरा रंग पाने के लिए दुनिया के सारे नुस्खे अजमाने कि कोशिश करते हैं.

गोरे रंग का गुमान कितने गहरे लोगों के मानस में पैठ गया है या बिठा दिया गया है, (आपने रेडियो टी.वी और पत्रिकाओं के विज्ञापन तो देखे ही होंगे,फैयेर एंड लोवेली,पोंड्स,ओले ,लोतुस,लक्मे,इमामी सूची बहुत लम्बी है.और कीमत आपकी जेब और पेशे पर निर्भर है)इसका उदाहरण बड़े ही निराले रूप में मेरे सामने आया.मैं रोज़ सुबह व्यायाम और सैर के लिए अपने घर के पास स्थित पार्क में जाती हूँ,एक अन्य जोड़ा भी अक्सर वहाँ पर दौड़ लगाता है कल उनकी ३-४ साल कि बच्ची और करीब९ -१० का नौकर भी उसके साथ था वो दोनों मेरे सामने वाले बेंच के पास खेलने लगे.लड़की बेंच पर बैठी थी और लड़के से बात कर रही थी जब लड़की उठी तो वह नौकर लड़का बेंच पर बैठ गया .लड़की को शायद यह अच्छा नहीं लगा मैने सुना कि वो लड़के से कह रही थी “तुम इस बेंच पर नहीं बैठ सकते क्योंकि तुमहरा रंग काला है मैं बैठ सकती हूँ क्योंकि मेरा रंग गोरा हैसिर्फ गोरे लोग ही कुर्सी और बेंच पर बैठ सकते हैं”.इतने छोटे के मुख से इतनी बड़ी बात.मैं भौंचक रह गयी और सुन नहीं पाई कि लड़के ने क्या कहा.
लेकिन इंसान की फितरत कि रंग भेद और सामाजिक अस्पर्श्यता मिटाए नहीं मिट रही.जाती और वंश का गुमान,दौलत का गुमान और गोरे रंग का गुमान लोगों के सर पे चढ़ कर नाचता है.महत्मा गाँधी,मार्टिन लूथर किंग,नेल्सन मंडेला ने अपनी तरफ से बहुत कोशिशें कि रंग भेद और सामाजिक असमानता से उपजी अस्पर्श्यता दूर हो लेकिन आज के परिद्रश्ये में ये और भी विकराल दिखाई दे रही है.हर व्यक्ति आज दौलतमंद ,रुतबेदार, खानदानी, और सुंदर कहलाना चाहता है चाहे इसके लिए उन्हें कैसे भी हथकंडे अपनाने पड़ें और कितने भी पापड़ बेलने पड़ें और काले रंग के लोग तो लगता है स्वयं ही हीन ही हीन भावना से ग्रस्त हैं..इस चाहना को प्रस्धन बनाने वाली कम्पनियां और भी हवा दे रही हैं.पहले तो सिर्फ स्नो और पावडर से ही काम चल जाता था पर अब तो ऐसी२ क्रेअमें बन रही हैं जो आपकी त्वचा को काला होने से रोकती हैं,या गोरी कर देती हैं और तो और शल्यक्रिया या फिर लसेर द्वारा आप गोरी रंगत पा सकते हैं.पोप संगीत का बादशाह कहा जाने वाला मयिकल जैक्सन अफ़्रीकी मूल का काले वर्ण का था परन्तु अनगिनत शल्यक्रियाओं के द्वारा गोरे रंग का होगया था लेकिन शायद इसी कारण वह कई व्याधियों से ग्रस्त हो गया.
प्रकृति प्रदत कला रंग एक रसायन मेलानिन कि वजह से होता है जिसे त्वचा कि कोशिकाएं बनती हैं.ये त्वचा को सूरज कि गर्मी से झुलसने से और उसकी परबिन्ग्नी किरणों से होने वाले नुकसानों(कैंसर, अल्लार्जी,और झुर्रियों ) से बचाता है. जिन स्थानों पर सूर्य अधिक तीव्रता से चमकता है और अधिक देर तक रहता है वहां के लोगों का रंग अधिक काला होता है जैसे अफ्रीका,और जहाँ पर सूरज कि कृपा कम होती है वहां पर कम मेलनिन बनता है.कितने गोरे हैं आप ये आपकी जींस और सूरज पर निर्भर हैकाली त्वचा में भी अपना ही एक आकर्षण होता है हमारे तो भगवा शिव, राम और क्रिशन भी काले थे उनकी हम पूजा करते हैं हमने बहुत साड़ी सनवाल गोरियों जैसे वैजयंतीमाला,वहीदा और रेखा अदि प्रमुख हैं..खैर प्रकृति से खिलवाड़ करना आज मानव कि आदत में शुमार हो गया है.वो प्रकृति पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है.लेकिन प्रकृति का भी जब दाव लगता है पटखनी दे ही देती है.
मेरे अपने विचार से हमारी करतूतें काली न हों.रंग तो इश्वर कि देन है जिसे हम संवारें तो सही पर बदलने की कोशिश न करें

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh