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बचपन से सुनते आ रहे हैं कि जवानी जा के नहीं आती और बुढ़ापा आक नहीं जाता ,पर फिर भी आज जिसे देखो अपनी जवानी के पीछे २ भाग रहा है .३० पार क्या हुए कि जवानी आदमी का साथ यूँ छोडने लगती है जैसे गधे के सर से सींग और आदमी बेचारा ययाति के युग से आज तक यही कोशिश करता आ रहा कि किसी तरह स्सेंग कटा के बछड़ों में शामिल हो जय .कभी चिमटी लेकर एक २ सफ़ेद बाल तोड़ता है(ये अलग बात है कि ऐसा करने से बाल और जल्दी सफ़ेद होते हैं) कभी उन्हें रंगता है.बेचारी महिलाओं का तो और भी बुरा हाल है जवान और कमसिन दिखने कि ललक में कभी एंटी एजिंग,कभी एंटी रिंकल क्रीमों का प्रयोग करती हैं.इसके इलावा बोटोक्स के इन्जेक्शुं और लेसर भी हैं भला हो SCIENCE की नयी नयी खोजों का ,कितने ही फोर्मुले निकाल लिए हैं की झुर्रियां न पड़ें,देर से पड़ें कम पड़ें और फिर भी पद ही जाएँ तो बोटोक्स,क्रीम फिल्लार्स या फिर लसेर तकनीक से हटवा लो.बालों ,दांतों और आखों का क्या? अरे भाई सब इलाज है हमारे पास, झड़ते बाल उगायें ,में बालों को मनचाहा रंगें,दाँतों की फिल्लिंग,कैपपिंग या इमप्लान्टिंग कराएँ.आँखों में चश्मे की जगह लेंस लगवाओ लेसिक तकनीक जिंदाबाद ,और भी जवान दिखना चाहतें हैं कोई बात नहीं ब्रेस्ट इम्प्लांट और टम्मी टक करवाईये.अरे घबराईये नहीं जोड़ भी बदल्वायिये और फिर से नए बन जाईये.हाँ इन सब के लिए टेंट में पैसे भी अच्छे खासे होने चाहियें .इसके बाद मकेउप सहारा लिए जब आप इतराते हुए घर से बाहर निकलेंगे तो कोई नामुराद बच्चा या नौजवान पुकार लेगा औंटी जी,और तो और माता जी .आपका दिल तो धक् से बैठ जाएगा.गया न सब किया धरा पानी में.अजी बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी.जवानी तो भागते चोर की लंगोटी है वो भी हाथ से फिसल जायेगी. अच्छा ,सुंदर और स्वस्थ दिखना अच्छी बात है, पर सनक कि हद तक जवान लगने कि कोशिश करना हास्यास्पद हो जाता है .बेहतर यही होगा कि हम पोष्टिक आहार और व्यायाम और योग के द्वारा अपने आप को स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखें और समय के चक्र को रोकने कि बजाये समय के साथ चलें.
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